हरिद्वार। दीपावली पर्व को पंच पर्व भी कहा जाता है। इसकी शुरूआत धनतेरस के दिन से हो जाती है। धनतेरस का पर्व दीपावली से दो दिन पूर्व होता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। इस बार धनतेरस का पर्व 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। जो इस वर्ष 25 अक्टूबर दिन शुक्रवार को है। इस दिन देवताओं के वैद्य धनवन्तरि की पूजा का विधान है।
पं. देवन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक धनतेरस के दिन आयुर्वेद के जनक भगवानन धनवंतरि का प्रादुर्भाव समुद्र मंथन से हुआ था। जब भगवान धनवंतरित का प्रादुर्भाव हुआ तो उनके हाथों में अमृत कलश और आयुर्वेद ग्रंथ थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवन्तरि, चतुर्दशी को मां काली और अमावस्या को लक्ष्मी माता सागर से उत्पन्न हुई थीं। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनवन्तरि का जन्म माना जाता है, इसलिए धनवन्तरि के जन्मदिवस के उपलक्ष में धनतेरस मनाया जाता है। धनतेरस के दिन यम के नाम का दीपदान करने का भी विधान है।
इस वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानि की धनतेरस 25 अक्टूबर को दिन में 4 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगी, जो 26 अक्टूबर को दिन में 2 बजकर 08 मिनट तक रहेगी। श्री शुक्ल के मुताबिक धनतेरस व अन्य पर्वों पर पूजन और खरीददारी शुभ मुहुर्त के अनुसार करना श्रेयस्कर होता है। इस कारण धनतेरस पर खरीदारी का मुहूर्त 4 बजकर 32 मिनट से रात्रि तक है। धनतेरस के दिन सायंकाल व्याप्त त्रयोदशी में यमराज को दीपदान किया जाता है। बताया कि धनतेरस के दिन सोने या चांदी के आभूषण व अन्य सामान खरीदना शुभ माना गया है। इस कारण कुछ न कुछ अवश्य खरीदना चाहिए।