अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है दीयाः डॉ पण्ड्या

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प्रधानमंत्री की अपील को दीपमहायज्ञ के साथ विश्व भर में मनायेगा गायत्री परिवार
हरिद्वार।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से पुनः एक संकल्प निभाने का आवाहान किया है। उन्होंने बिजली के सभी उपकरण बंदकर रविवार, पाँच अप्रैल को रात के नौ बजे, नौ मिनट, दीपक जलाने की गुजारिश की। इसके पीछे के आध्यात्मिक सिद्धांत पर मनीषियों ने कहा कि जब एक साथ असंख्य दीप जगमगाएंगे, तो नौ मिनट की उस घड़ी में सूर्य के समान एक विशेष ऊर्जा पुंज प्रकट होगी और वह अंधकार को दूर कर रोगों का नाश करेगी। हमें आरोग्य प्राप्त होगा व चरमराई अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने की शक्ति मिलेगी। जनार्दन स्वरूप दीप से जनार्दन स्वरूप जनता को एकजुट करने प्रधानमंत्री श्री मोदी की इस मुहिम में हमें देश और विश्व कल्याण का ध्येय लेकर स्वस्फूर्त शामिल होना चाहिए।
रात नौ बजे और नौ मिनट के संकल्प पर अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या ने कहा कि हमारे पुराणों में दीपक के विषय में मूल बात यह लिखी कि दीप ज्योति परब्रह्म, दीप ज्योतिर्जनार्दनः, दीपो हरति मे पापं, दीप ज्योतिर्नमोस्तुते। दूसरा वाक्य है, शुभम करोति कल्याणम, आरोग्यम धन संपदः, शत्रुबुद्धि विनाशाय, दीपज्योतिर्नमोस्तुते। दोनों वाक्य का आध्यात्मिक तत्व यही है कि श्लोक के माध्यम से स्वयं भगवान व्यास हमें बताना चाह रहे हैं कि दीपक की ज्योति श्रेष्ठ ब्रह्म है, उससे बड़ी शक्ति व उससे बड़ी सत्ता दूसरी नहीं। दीपक की ज्योति जनार्दन स्वरूप है और हमारे देश में जनता को भी जनार्दन स्वरूप कहा जाता है। इसलिए जब एक साथ असंख्य दीप प्रज्ज्वलित होंगे, तो जनार्दन स्वरूप प्रकट होगा। पीएम के संदेश से देशवासियों में अच्छे काम के लिए एक जुटता पैदा होगी, जिससे मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। सभी को लगेगा कि हम अच्छे काम के लिए घर में हैं। इससे लोगों में निराशा की भावना का अंत होगा। घर की लाइटें बंद करके दीए जलाएंगे, तो आपको अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रेरणा मिलेगी। लोगों को लगेगा कि अंधकार चाहे कितना भी घना क्यों न हो, प्रकाश से निकली ऊर्जा उसका अंत अवश्य करेगी।
डॉ पंड्या ने गायत्री परिवार के 15 करोड़ गायत्री परिजनों को रविवार रात एक साथ एक समय पर अपने अपने घरांे में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए दीप महायज्ञ का आव्हान किया। उन्होंने एक समय पर एक साथ 24 गायत्री महामंत्र और 24 बार महामुर्त्युंजय मंत्र के साथ भावनात्मक आहुतियाँ प्रदान करने की बात कही।

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