हरिद्वार। गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के योग एवं शारीरिक शिक्षा संकाय के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. शिव कुमार चौहान ने कहा कि देश में कोविड तथा लाकडाउन के कारण उत्पन्न स्थिति में चिकित्सा तथा स्वास्थ्य को ओर बेहतर बनाने के प्रयास किये जा रहे है। वहीं इससे जुडे अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण एवं संसाधनांे को भी देश मंे स्थापित करने की केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की योजनाओं को लागू करने की कार्य योजना भी आरम्भ हो चुकी है। यह देशवासियों के लिए खुशी की बात है। लेकिन इन प्रयासों के साथ चिकित्सा-स्वास्थ्य से जुडी समस्याओं के निदान में मनोवैज्ञानिक सलाह को भी हिस्सा बनाने की जरूरत है। ये विचार दो दिवसीय नेशनल ई-कान्फ्रेंस के उदघाटन सत्र मे मुख्य वक्ता के रूप में डा. शिव कुमार चौहान ने व्यक्त किये। उन्होने बताया कि शिवाजी यूनिवर्सिटी, कोलाहपुर द्वारा 10-11 जुलाई को आयोजित दो दिवसीय नेशनल ई-कान्फ्रेंस विषय कोविड के कारण देश की बदली स्थिति पर बोलने के लिए मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया।
डा. शिव कुमार ने कहा कि शारीरिक बीमारियों का 60 फीसदी हिस्सा मानसिक स्वास्थ्य के अच्छा तथा बुरा रहने की स्थिति पर निर्भर करता है। केवल दवाईयों के माध्यम से रोगी की चिकित्सा किया जाना न्यायोचित नहीं है। इसमंे मानसिक स्वास्थ्य को भी तरजीह दिया जाना जरूरी है। उन्होने कहा कि लम्बे समय से चली आ रही बीमारियों से परेशान होकर लोग आत्महत्या जैसी मानसिक विकृति का शिकार हो जाते हैं। जिसका कारण पीडित रोगी को शारीरिक चिकित्सा के साथ मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की सलाह से वंचित रखना है। कोविड के कारण उत्पन्न स्थिति ने पूरे चिकित्सा तंत्र का ध्यान इस ओर खींचा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जल्दी ही मनोवैज्ञानिक सलाह को चिकित्सा उपचार का हिस्सा बनाकर रोग तथा रोगियों के बढ़ने पर रोक लग सकेगी। कान्फ्रेंस का उदघाटन महाराष्ट्र के उच्च तथा तकनीकि शिक्षामंत्री उदय सामन्त ने किया। इस अवसर पर ओलम्पियन विरधवाल खाडे, रिसर्च साईटिस्ट अर्लुमोझी सरवानन, जम्मू-कश्मीर की युवा एवं खेल कार्यक्रम निदेशक डा. मौसमी वर्मा, फिजिकल एजूकेशन एवं स्पोटर्स एसोशियसन के अध्यक्ष डा. प्रदीप देशमुख आयोजक मण्डल के लेफ्टिनेंट डा. महेन्द्र कदम पाटिल, संदीप जगतार तथा अनेक विद्वान उपस्थित रहे।