नोट, वोट व स्पोर्ट के चलते अस्थाई/स्थाई अतिक्रमण कराकर रुड़की की जनता को शिक्षित चैयरमेनों व धनाढ्य लोगों ने जलभराव की लाईलाज बीमारी के गर्त में धकेला: सुभाष सैनी

dehradun Haridwar Latest News Politics Roorkee social uttarakhand

दैनिक बद्री विशाल
रुड़की/संवाददाता

लोकतांत्रिक जनमोर्चा रुड़की के संयोजक सुभाष सैनी ने कहा कि जहां एक और रुड़की के भूगोल को गत चार दशक में शिक्षा नगरी रुड़की के ही कुछ एक धनाढ्य, शिक्षित चेयरमैनों ने “नोट, वोट,स्पोर्ट” के चलते अस्थाई/स्थाई अतिक्रमण कराकर रुड़की की जनता को जलभराव की लाईलाज बीमारी के गर्त में धकेल दिया, जिससे निजात मिलने की संभावना अभी तो दूर-दूर तक भी बनती नहीं दिख रही है , वहीं दूसरी ओर अब यदि हम बात करें रुड़की से जुड़े उन बड़े नेताओं की, जिनकी पिछले दौर में दिल्ली व लखनऊ की राजधानी में सीधी पकड़ व पहचान थी, उनमें थे रुड़की से पूर्व मंत्री स्व सत्यनारायण सिन्हा जी, पूर्व मंत्री स्व. काजी मोहिउद्दीन जी तथा पूर्व मंत्री राम सिंह सैनी जी। यह सब मानते हैं और जानते भी हैं कि रुड़की को बहुत पहले ही जिला बना देना चाहिए था। हरिद्वार की मान्यता पवित्र तीर्थ स्थल होने के कारण पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी हुई थी और आज भी है लेकिन जिला बनने की सभी अहर्ताएं रुड़की पूरी करता था, लेकिन रुड़की से जुड़े यह तीनों लीडर रुड़की को जिला बनाने को लेकर उठी आवाज को अपने स्तर से दमदार ढंग से नहीं उठा पाए, इनमें भी पूर्व मंत्री रामसिंह सैनी जी जितने मजबूत दिल्ली व लखनऊ में रहे उतने वे दोनों मंत्री नहीं रहे। वर्ष 1985 -86 के राजनीतिक दौर में श्री सैनी जी “नेक्स्ट टू चीफ मिनिस्टर” यानी तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी जी के बाद ये ही गृह राज्यमंत्री रहे, शिक्षा राज्यमंत्री भी रहे। उस समय रुड़की को जिला बनाने का सुनहरा मौका श्री सैनी जी के पास था, जिसे वह नहीं भुना पाए। रुड़की के इन नेताओं की कमजोरी के चलते वर्ष 1989 में हरिद्वार जो एक समय रुड़की तहसील का हिस्सा रहा, को जिला घोषित कर दिया गया, यही नहीं मुख्यालय भी रोशनाबाद स्थापित कर दिया। रुड़की की जनता हाथ मलते रह गई। काश! श्री सैनी जी उस समय रुड़की को जिला बनवा देते तो रुड़की से सैनी जी को कोई चुनाव हराने वाला न होता, यही वजह रही कि इसके बाद श्री सैनी रुड़की में 7 बार पार्टी व क्षेत्र बदल-बदल कर विधानसभा का चुनाव लड़े, जिनमें वे केवल दो बार ही जीते जबकि 5 बार मतदाताओं ने उन्हें जमानत जप्त कराकर वापस भेज दिया।
वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य घोषित हो गया। उत्तराखंड राज्य में 13 जिले वजूद में आ गए, रुड़की जिले की मांग जनता तो लंबे अरसे से उठाती चली आ रही थी लेकिन राजनीतिक नेतृत्व की कमजोरी इसके आड़े आती रही। राज्य निर्माण के बाद रुड़की को जिला बनाने की मांग को राज्य निर्माण के लिए बनी मूल पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल ने जोर शोर से उठाया, इधर वर्ष 2005 में हमारे द्वारा गठित किए गए गैर राजनीतिक संगठन लोकतांत्रिक जनमोर्चा रुड़की की ओर से रुड़की को जिला बनाओ, बेरोजगार युवाओं को रोजगार दो सहित जनहित के मुद्दों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया। इसमें उत्तराखंड क्रांति दल का भरपूर समर्थन गत 14 वर्षों से लोकतांत्रिक जनमोर्चा को मिल रहा है। लोकतांत्रिक जनमोर्चा ने वर्ष 2006 को “आंदोलन वर्ष” घोषित करके पूरे वर्ष कोई माह ऐसा नहीं जाने दिया, जिसमें युवा ललकार रैली, बाइक रैली, विशाल महारैली, धरना प्रदर्शन, अधिकारियों का घेराव, विभाग की तालाबंदी, बाजार बंदी नहीं की हो वास्तविकता यह भी है कि स्थानीय बहुत से भाजपाई तो रुड़की जिले की मांग को लेकर आंदोलन में लोकतांत्रिक जनमोर्चा का साथ देते चले आ रहे हैं लेकिन भाजपा के एजेंडे में कभी रूड़की जिला बनाना नहीं रहा, दूसरी ओर कांग्रेस चाहती है कि रुड़की जिला बने इसीलिए तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने रुड़की को जिला बनाने की दिशा में तहसील बनाना शुरू कर दी थी, उत्तराखंड सरकार में रहते भाजपा ने 4 जिलों के बनाने की घोषणा तो कर दी थी लेकिन रुड़की की जनता का विरोध देखते हुए वह घोषणा भी वही अटकी हुई है। रुड़की के जनहित के मुद्दों को पूरा कराने के लिए जनता को ही आगे आना होगा तभी रुड़की जिला भी बनेगा और इसका चहुमुखी विकास भी होगा। रुड़की की पुरानी कमजोर लीडरशिप जैसे रुड़की को जिला नहीं बनवा पाई उत्तराखंड राज्य बनने के बाद तो रुड़की की लीडरशिप और भी कमजोर हो गई है चूंकि रुड़की क्षेत्र से मिले भरपूर राजस्व के बावजूद पिछले 20 वर्षों में रुड़की में ऐसा कोई बड़ा काम नहीं हो पाया जिसका हम बखान कर सकें। लोकतांत्रिक जनमोर्चा रुड़की ताजा घटनाक्रमों के साथ-साथ गत वर्षों में रुड़की हितों के लिए जो संघर्ष किए गए उन्हें भी युवा पीढ़ी को अवगत कराता रहेगा। हमें भरोसा है कि युवा शक्ति अपने साथ हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी और लोकतांत्रिक जनमोर्चा के साथ आकर जनहित के मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़ेगी। “युवा शक्ति जागेगी, अन्याय की ताकत भागेगी”।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *