दैनिक बद्री विशाल
रुड़की/ संवाददाता
फलाही तंजीम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस ब्यान की निंदा की, जिसमें उन्होंने वैश्विक आतंकवाद को इस्लाम से जोड़कर इसके खिलाफ मिलकर लड़ने की बात कही। फलाही तंजीम के पदाधिकारियों की हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और ना ही आतंकवाद का कोई धर्म समर्थन करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस्लाम के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, उन्हें इस्लाम धर्म का अध्ययन करना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि यदि डोनाल्ड ट्रंप इस्लाम का अध्ययन कर लें, तो उनके खुद ब खुद समझ में आ जाएगा कि इस्लाम धर्म अमन-शांति, सद्भाव, धैर्य और भाईचारे का संदेश देता है। संस्था के अध्यक्ष शमशुल हसन सैफी ने कहा कि क्या भुखमरी से त्रस्त आयरलैंड के लोग भी इस्लामी आतंकवादी थे। दुनिया का एक धर्मविशेष इस्लामी हुलिया बनाकर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे रहा है एवं इस्लाम धर्म को बदनाम करने की कुचेष्टा कर रहा है। उन्होंने कहा कि इतिहास रहा है कि वैश्विक ताकतें अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए आतंकवाद को पोषित कर रही है,जिसका हम सबको मिलकर मुकाबला करने की आवश्यकता है। बैठक में दिल्ली व देशभर में हो रही घटनाओं के प्रति भी चिंता व्यक्त की गई। इस अवसर पर जमीर अहमद, डॉक्टर नदीम आलम, हाजी शराफत अली,इम्तियाज अली, कश्मीरी लाल सोनकर, सुनील कुमार शर्मा,आरजू बानो, ओमप्रकाश नूर, लोकेश चड्ढा, पंकज सोनकर,मोहम्मद आरिफ, साकिर अली,अकरम साबरी, मीनाक्षी शर्मा,नसीम हैदर चांद, डॉक्टर रऊफ अहमद आदि मौजूद रहे।