उत्तराखंड के हरिद्वार, रुड़की और कोटद्वार में दिल्ली क्राइम ब्रांच पुलिस ने छापा मारकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार करने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है। मामले में एक महिला सहित कुल पांच आरोपियों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। आरोपी नकली रेमडेसिविर को 25 हजार रुपये प्रति इंजेक्शन कोविड मरीज के परिजनों को बेच रहे थे। बताया जा रहा है कि अभी तक इन लोगों ने दो हजार से ज्यादा नकली डोज मरीज के परिजनों को बेच चुके हैं। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने ट्वीट कर इस फैक्ट्री पर छापेमारी की जानकारी दी है।
क्राइम ब्रांच के अनुसार बीते कुछ समय से उनकी टीम को सूचना मिल रही थी कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी की जा रही है। इसे लेकर बीते दिनों कई गैंग क्राइम ब्रांच ने पकड़ी हैं। ऐसा ही एक गैंग क्राइम ब्रांच की इंटरस्टेट सेल ने दक्षिण दिल्ली स्थित बत्रा अस्पताल के पास से बीते सप्ताह पकड़ा था। क्राइम ब्रांच ने यहां से दो आरोपियों मोहन झा और मोहम्मद शोएब को गिरफ्तार कर रेमडेसिविर इंजेक्शन के 10 वायल बरामद किए थे। पुलिस को आरोपियों ने बताया था कि वह एक महिला से इंजेक्शन लेकर इसे अस्पताल के बाहर मरीज के परिजनों को 25 से 40 हजार रुपये में बेचते थे। इस जानकारी पर पुलिस टीम ने दिल्ली से महिला सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान महिला ने पुलिस को बताया कि वह उत्तराखंड के रुड़की निवासी वतन सिंह से रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर उसे आगे बेचने के लिए देती थी। इस खुलासे पर क्राइम ब्रांच की एक टीम उत्तराखंड पहुंची और वहां से वतन सिंह को गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से रेमडेसिविर की जो डोज बरामद हुई हैं। उसके नकली होने का शक पुलिस अधिकारियों को हुआ। पुलिस ने आरोपी को अदालत के समक्ष पेश कर रिमांड पर लिया। उसने पुलिस को बताया कि वह कोटद्वार में नकली रेमडेसिविर तैयार कर उसे कोविड मरीजों के परिजनों को बेचता है। इसके लिए उसने लोगों के बीच अपने नंबर को भी वायरल किया था। इस जानकारी पर क्राइम ब्रांच की टीम ने वतन सिंह को साथ लेकर गुरुवार को उत्तराखंड के कोटद्वार में अवैध फैक्ट्री पर छापा मारा। जिसमें नकली रेमडेसिविर तैयार हो रही थी। यहां से पुलिस को लगभग रेमडेसिविर के 200 नकली डोज मिले हैं। इसके अलावा बड़ी मात्रा में पैकिंग का सामान एवं मशीन भी यहां से जब्त की गई। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह दो हजार से ज्यादा डोज बीते दिनों बेच चुके हैं। पुलिस को पता चला कि उत्तराखंड ड्रग यूनिट के जरिए पहले वतन सिंह की इस फैक्ट्री को एक बार पहले भी सील किया जा चुका है।