रुड़की/संवाददाता
चिड़ियापुर रेंज में अवैध खनन का खेल बंद करने के लिए अधिकारी चाहे लाख दावे करें लेकिन अवैध वसूली में मशगूल अधिकारी इन दावों की पोल खोलने में कोई गुरेज नहीं करते, चाहे इसके लिए उन्हें स्वयं विभागीय कानूनों को ताक पर ही क्यों ना रखना पड़े। इसी का एक नमूना देर रात्रि भी देखने को मिला, जहां वन विभाग के एसडीओ रंगनाथ पांडे, रेंजर रसियावड कुलदीप पंवार व चिड़ियापुर रेंजर मुकेश कुमार ने रूटीन चेकिंग के नाम पर कई ट्रैक्टर और डंपर पकड़ लिये ओर बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर वन निगम के तोलकेन्द्र पर कांटा करवाकर निकलने वाले वाहनों को किस आधार पर उक्त अधिकारियों द्वारा रोका गया। जबकि वाहन स्वामियों का आरोप है कि वन विभाग व वन निगम के अधिकारी कार्रवाई के नाम पर लगातार उनका शोषण करते रहते हैं। इससे तंग आकर पिछले दिनों भी वाहन चालकों व स्वामियों ने वन विभाग व वन निगम के अधिकारियों पर शोषण करने का आरोप लगाया था। जब इस संबंध में पत्रकारों द्वारा एसडीओ रंगनाथ पांडे से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि यह रूटीन चेकिंग में कार्रवाई की गई है और किसी भी ट्रैक्टर या डंपर चालक को परेशान नहीं किया गया है। जबकि वह यह कहते नहीं चूके कि वन निगम के तोल कांटे पर हुआ तोल गलत भी हो जाता है और तोल केंद्र से पर्ची के बाद डंपर और ट्रैक्टर ट्राली में माल ज्यादा ले जाया जाता है। जिसकी वह समय-समय पर चेकिंग करते हैं। अब सवाल यह है कि आखिर तोल केंद्र पर कांटा होने के बाद उसमें अत्यधिक माल किस आधार पर डलवा जा रहा है और यदि यह अधिकारियों की सांठगांठ से हो रहा है तो फिर उन्हें चेकिंग के नाम पर क्यों तंग किया जाता है। वहीं डीएफओ से कब इस बाबत जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने फोन माही उठाया।