हरिद्वार। देश के ग्रामीण परिवेश में जलाशयों के केन्द्र बिन्दु तलाबों व पोखरों को संरक्षित किए जाने के विषय में और अधिक सजगता से कार्य किए जाने की आवश्यकता है जिससे कि इनमें होने वाली वनस्पतियों का भी इनके साथ संरक्षण किया जा सके। यह विचार तालाब पोखर संरक्षक रामवीर तावर ने गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय, हरिद्वार द्वारा आयोजित औषधीय पादप महाकुम्भ में वेबिनार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। प्रोन्ड मैन आॅफ इण्डिया के नाम से देश विदेश में तालाब व पोखर संरक्षण के लिए विशेष पहचान रखने वाले रामवीर तावर ने कहा कि देश की बहुत सी दुर्लभ वनस्पतियां हमारे ग्रामीण परिवेश में पाए जाने वाले तालाबों व पोखरों में पल्लवित होती है। इसके साथ ही यह जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करते है। ऐसे में विशेषकर हमारे युवाओं को आगे आकर इनके संरक्षण किए जाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी के कुलसचिव प्रो. दिनेश भट्ट ने कहा कि वनस्पति व तालाब संरक्षण की दिशा में देश में विभिन्न चरणों में कार्य हो रहा है। इस दिशा में ओर तीव्र गति से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। जिस दिशा में गुरुकुल कांगड़ी में बी.फार्मा द्वारा किए जा रहे प्रयास एक सार्थक पहल है। जिसके आने वाले दिनों में रचनातमक परिणाम देश व समाज में देखने को मिलेंगे।
इस मौके पर आयोजित खुद से मुलाकात कार्यक्रम में बोलते हुए युवा पर्यावरणविद् डा. विनय सेठी ने वनस्पति विज्ञान व पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला वेबिनार में सूलनी विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश की प्रो. आस्था त्रिपाठी, नितिन अरोड़ा, डा. पवन खटाना, कंजरवेटीव अमित भाटी, डा. विनोद उपाध्याय ने भी विचार व्यक्त करते हुए अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम के संयोजक डा. सत्येन्द्र राजपूत ने प्रतिभागियों का परिचय कराते हुए औषधीय पादप महाकुम्भ के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अन्त में डा. बलवन्त रावत ने सभी का आभार व्यक्त किया।