हरिद्वार। सोमवार को तीर्थनगरी में गोवर्धन पूजा अन्नकूट महोत्सव के रूप में मनायी गई। लोगों ने भगवान गोवर्धन का पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि की कामना की। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। पौराणिक ग्रन्थों में दीपावली के ठीक अगले दिन गोवर्धन पूजा करने का विधान बताया गया है। मान्यता है कि गोवर्धन पूजा के दिन गायों की पूजा का विधान है। गोवर्धन पूजा के दिन पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है। पकवान ने सभी अधिक महत्ता अन्नकूट की है। इसी कारण गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। मान्यता के मुताबिक इस दिन पूजा करने से व्यक्ति पर भगवान श्रीकृष्ण की अनुकंपा हमेशा बनी रहती है। अन्नकूट का अर्थ है अन्न का समूह। मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई। अन्नकूट त्योहार कई तरह के पकवानों से भगवान की उपासना का विधान है। साथ ही यह प्रकृति के संरक्षण का भी संदेश देता है। आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र से प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोर्वधन पर्वत को अपनी कनिष्ठा ऊंगली पर उठाकर इन्द्र के प्रकोप से उनकी रक्षा की थी। तीर्थनगरी में भी अन्नकूट महोत्सव श्रद्धा के साथ मनाया गया। कई स्थानों पर सामूहिक अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया। जिन परिवारों में अन्नकूट की पूजा प्रातःकाल होती है। वहां प्रातःकाल अन्नकूट महोत्सव मनाया गया। जो लोग सांयकाल अन्नकूट महोत्सव मनाते हैं वहां पूजन की तैयारियां की जा रही है।