सिक्किम के राज्यपाल का गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय पहुंचने पर किया स्वागत
हरिद्वार। सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहाकि स्वामी श्रद्धानन्द महाराज का देश की आजादी के आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने जामा मस्जिद से अपने सम्बोधन में लोगों को बताया कि वेदों में किसी भी प्रकार के भेदभाव का कोई स्थान नहीं है। वेद व वैदिक शिक्षा सभी के विकास व उत्थान की बात करती है। स्वामी श्रद्धानन्द ने भारतीय संस्कृति, संस्कारों व आर्य सिद्धान्तों की रक्षा के लिए गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की जिस दिशा में यह विश्वविद्यालय आज भी निरन्तर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि उनके नाना स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ जुडकर कार्य कर चुके हैं। आर्य संस्कार उन्हें अपने पूर्वजों से धरोहर के रूप में मिले है। उन्होंने कहाकि 2017 में जब वह हरिद्वार प्रवास पर थे तब उन्हें केन्द्र सरकार द्वारा बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की सूचना प्राप्त होने के चलते तत्काल दिल्ली बुलाया गया, परन्तु उन्होंने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दो दिन पश्चात् आर्य समाज में यज्ञ करने के उपरान्त ही दिल्ली के लिए प्रस्थान किया। उन्होंने कहा कि जब किसी देश पर किसी विदेशी का अधिकार हो जाता है तो उसका प्रयास वहां की संस्कृति शिक्षा को नुकसान पहुंचाना होता है। देश की आजादी के बाद लम्बे समय तक इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान में नई शिक्षा प्रणाली के चलते इस तरफ विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वह सिक्किम में सरदार बल्लभ भाई पटेल व नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का बहुत शीघ्र स्टेच्यु लगवाने जा रहे हैं। उन्हें गुरुकुल में आकर बहुत सन्तोष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारतीय शिक्षा व संस्कृति एक बार पुनः विश्व कल्याण का मार्ग विश्व पटल पर प्रशस्त करने में सहायक होगी। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में स्थित स्वामी श्रद्धानन्द गैलरी का गहनता से अवलोकन किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने राज्यपाल गंगा प्रसाद का स्वागत किया। इस अवसर पर प्रो. एमआर वर्मा ने विश्वविद्यालय की प्रगति से राज्यपाल को अवगत कराते हुए संक्षिप्त परिचय दिया।
इस मौके पर दीपक चौरसिया, सदस्य राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सलाहकार भारती, संयुक्त कुलसचिव डा. श्वेतांक आर्य, मेजर विकास, डा. दीनदयाल, प्रो. सत्येन्द्र राजपूत, प्रो. धर्मेन्द्र शास्त्री, प्रो. प्रभात कुमार, प्रो. राकेश कुमार शर्मा, डा. मनोज, डा. हिमांशु पण्डित, डा. सत्येन्द्र, डा. दिलिप कुशवाह, डा. सत्यानन्द, रोहित भारद्वाज, मोहित अवाना इत्यादि उपस्थित रहे।