न शोरूम मिला और न ही वापस मिल रहे पैसे, गुरु कृपा से शिष्य परेशान
हरिद्वार। शास्त्रों में संतों की महिमा को अपरम्पार बताया गया है। संत कब क्या कर जाएं इसका भी किसी को पता नहीं होता। इसके करने में भी कुछ नहीं होता और बिना करे भी यह बहुत कुछ कर देते हैं। हरिद्वार की धरती पर अनगिनत सिद्ध संत हुए हैं। जिसकी यश गाथा आज भी लोग सुनते और सुनाते हैं। पूर्व के संतों की गाथाएं कुछ और हुआ करती थीं किन्तु आज के संतों की गाथाएं कुछ अलग हैं। किन्तु गाथाएं जहां पूर्व में हुआ करती थीं और उनके चर्चे दूर-दूर तक होते थे। वहीं गाथाएं आज के संतों की भी होती हैं। जो दिखाने वाली होती हैं उन्हें बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जाता है। किन्तु कुछ गाथाओं को गुप्त रखा जाता है। वह किसी के समक्ष उजागर न हों इसका भी भरसक प्रयास किया जाता है।
पूर्व में संत तपस्या और सिद्धि के लिए प्रसिद्ध हुआ करते थे, किन्तु आज वर्तमान में व्यवसाय, सुरा और सुंदरी के कारण इनकी चर्चाएं होती है।
हरिद्वार के ही एक ऐसे संत इन दिनों चर्चा में हैं जो अपने की शिष्य के ढ़ाई करोड़ से अधिक की राशि हड़प कर बैठे हैं। कई बार मांगने के बाद भी शिष्य को निराशा ही हाथ लगी। सूत्र बताते हैं कि करीब ढ़ाई वर्ष पूर्व हरिद्वार के एक संत ने मध्य हरिद्वार में एक शोरूम दिलाने के नाम पर अपने बिजनौर जनपद निवासी एक शिष्य से ढ़ाई करोड़ रुपये लिए। समय व्यतीत होने के साथ अपने नीति कार्य के लिए भी संत ने और धनराशि अपने शिष्य से ली। लम्बा समय गुजरने के बाद जब शिष्य ने शोरूम दिलाने की बात कहीं तो गुरु ने शिष्य को थोड़ा और समय रूकने के लिए कहा। भला शिष्य गुरु की बात कैसे टालता। शिष्य ने करीब एक वर्ष का और इंतजार किया। बावजूद इसके उसे शोरूम नहीं मिला और न ही शोरूम के लिए दी गई ढ़ाई करोड़ की धनराशि उसे वापस मिली। इतना ही नहीं ढ़ाई करोड़ के अतिरिक्त लिया गया धन भी वापस नहीं किया गया। अब शिष्य अपने पैसे वापसी के लिए गुरु से गुहार लगा रहा है। किन्तु गुरु है की शिष्य का पैसा वापस देने का राजी नहीं है। सूत्र बताते हैं कि अब शिष्य अपने पैसे वापस लेने के लिए पक्का इरादा कर चुका है। सूत्र बताते हैं कि एक-दो बार तकादा करने के बाद भी यदि गुरु उसके पैसे वापस नहीं करता तो वह साम, दाम, दण्ड व भेद वाली नीति पर अमल करता हुआ अपने पैसों को वापस लेने का प्रयास करेगा।