भारतीय ज्ञान परम्परा ही बचा सकती है पर्यावरण और बच्चों का भविष्य
हरिद्वार। हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे पर्यावरण व शिक्षाविद क्लाउड एलवर्स ने विशेष संवाद सत्र में परिचर्चा में शनिवार को हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि समाज में परिवर्तन के लिए सबसे पहले उपयुक्त पेरेंटिंग की आवश्यकता है। हम बच्चों पर अपनी महत्वकांक्षाएं थोपने की कोशिश करते हैं। शिक्षा का उद्देश्य महज करियर नहीं हो सकता है। शिक्षा का उद्देश्य समग्र व्यक्तित्व विकास से होता हैं।
क्लाउड एलवर्स ने कहा कि परिवार और शिक्षा दो महत्वपूर्ण आधार हैं जहां से मनुष्य और प्रकृति का समन्वय निर्धारित होता है और दुर्भाग्य से दोनों ही जगह तार्किक और वैज्ञानिक चेतना से सम्पन्न विचारधारा का अभाव है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और शिक्षा दोनों तभी बच सकते हैं जब हम उन्हें उनके नैसर्गिक स्वरूप में पनपने का अवसर प्रदान करें। अन्यथा जिस प्रकार कैमिकल युक्त खेती पर्यावरण को दूषित करती है ठीक ऐसे ही कैरियरवादी शिक्षा समग्र व्यक्तित्व विकास को दूषित करती है। उन्होंने कहा भारतीय शिक्षा पद्दति की पुनर्समीक्षा की आवश्यकता है क्योंकि यह मनुष्य को एक पक्ष पर सोचने के लिए बाध्य करती है जबकि शिक्षा का उद्देश्य समग्र मानवीय विकास होना चाहिए जो सह अस्तित्ववादी और प्रकृति प्रेमी होनी चाहिए।