हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले में हरिद्वार नगर निगम और डीएम ने अपना विस्तृत जवाब नैनीताल हाईकोर्ट में पेश किया। उन्होंने बताया कि अभी तक विधायक निधि से बने पुस्तकालयों को उनके हैंडओवर नहीं किया गया है। उनको पुस्तकालयों की जानकारी नहीं है। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने डीएम और नगर निगम के जवाब पर याचिकाकर्ता को अपना प्रति शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि हरिद्वार में हुए 16 पुस्तकालय घोटाले के मामले में याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है। याचिका में कहा गया कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक द्वारा विधायक निधि से डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था। पुस्तकालय बनने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन और फाइनल पेमेंट तक हो गई, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं हुआ। इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक समेत तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता द्वारा बड़ा घोटाला किया गया है। याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेज को दिया गया। विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण के बाद ही फाइनल पेमेंट होती है। ऐसे में विभाग के अधिशासी अभियंता द्वारा बिना पुस्तकालय निर्माण के ही अपनी फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई। जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है। लिहाजा पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए।