हरिद्वार। भाजपा,कांग्रेस की आपसी खींचातानी की वजह से हरिद्वार नगर निगम राजनीति का अखाड़ा बनकर रह गया। जनप्रतिनिधियों को शायद जनहित से ज्यादा अपना स्वाभिमान व दलगत राजनीति ज्यादा लुभाती है यही कारण है कि जहा एक ओर शहर की प्रथम महिला के रूप में अनीता शर्मा निगम के आयुक्त व अधिकारियो पर मनमाने ढंग से काम करने,नियम विरूद्ध निगम की भूमि को बिना बोर्ड की अनुमति के चहेतों को आवंटित करने व भाजपा के इशारों पर काम करने का आरोप लगा रही है तो वहीं भाजपाई पार्षद भी मेयर पर अपने पति के दबाव मेे आकर काम करने पति के हितों का संरक्षण करने व मेयर कार्यालय को कांग्रेस कार्यालय बनाने का आरोप लगा रहे हैं।
इन्हीं आरोपों प्रत्यारोपों के बीच लंबे समय से रुकी बोर्ड बैठक बीते दिनों टाउन हॉल मेे आहूत की गई थी,किन्तु वह भी आरोप, प्रत्यारोपों के चलते भारी हंगामे के बीच स्थगित करनी पड़ी। जनहित में रुके पड़े विकास कार्यों को संचालित करने का हवाला देकर जिस बोर्ड बैठक को सह नगर आयुक्त द्वारा आयोजित करने के लिए मेयर से अनुरोध किया गया,उसे मेयर ने नगर आयुक्त से तीन बिंदुओ पर स्पष्टीकरण मांगते हुए टाल दिया। मेयर का कहना है कि जब तक नगर आयुक्त अपना स्पष्टीकरण नहीं देते तब तक बोर्ड बैठक आयोजित नहीं की जाएगी। वहीं राजनीति के पाटन के बीच फंसे नगर आयुक्त भी सत्ता की हवा से खुद का पसीना सोंखने मेे मस्त है यही कारण है कि वह मेयर का स्पष्टीकरण देना मुनासिब नहीं समझते। जिस कारण मेयर और नगर आयुक्त के बीच की हठधर्मिता के चलते बोर्ड बैठक आहूत नहीं की जा रही।
रही सही कसर मेयर द्वारा भाजपा के 7 पार्षदों को भेजे गए नोटिस ने पूरी कर दी। शहर के विकास कार्यों के लिए जरूरी निगम की बोर्ड बैठक की कोशिशों पर भाजपा के 7 पार्षदों को भेजे गए नोटिस ने ब्रेक लगा दिए। माना जा रहा है कि जिस तरह भाजपा पार्षदों की अनुशासनहीनता के आरोप में मेयर ने उन्हें नोटिस जारी किया अब उसी के पलटवार में भाजपा पार्षदों ने बैठक कर रणनीति बनाई। बीते कल (गुरुवार) को भाजपा पार्षदों ने नगर आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें भाजपा पार्षदों ने मेयर पर अपने पति के दबाव में बोर्ड बैठक नहीं बुलाने का आरोप भी लगाते हुए नगर आयुक्त से एक सप्ताह के भीतर बोर्ड बैठक बुलाने की मांग की है। बैठक न बुलाने पर मेयर को बर्खास्त करने के लिए मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी को पत्र लिखने की चेतावनी भी दी है।