रुड़की/संवाददाता
रिहायशी इलाकों में बने उद्योग जनता के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। इनके द्वारा कैमिकल युक्त पानी सड़कों और खाली प्लाटों में छोड़ा जा रहा हैं तथा वह खेतों में घुसकर फसलों को भी तबाह कर रहा हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में सुनहरा-माधोपुर रोड़ पर सामने आया था, जिसमें उद्योगों द्वारा गंदा पानी सड़कों पर छोड़ा जा रहा हैं, इसी से परेशान होकर आस-पास के लोगों ने पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी से शिकायत कर इन उद्योगो के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की थी। इस समाचार को दैनिक बद्री विशाल अखबार द्वारा प्रमुखता के साथ अपने पृष्ठ पर जगह दी गई थी। बुधवार को इस खबर का असर दिखाई दिया ओर अधिकारी नींद से जागे। एक टीम माधोपुर रोड़ स्थित उक्त कम्पनियों में पहुँची, जहां टीम को दो कम्पनियों में ईटीपी संचालन में बडी लापरवाही मिली। वहीं टीम ने कई अन्य उद्योगों में भी कार्रवाई कर स्थिति का जायजा लिया। जहां अनेक खामियां पाई गई। इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी राजेन्द्र सिंह कठैत ने बताया कि जिन कम्पनियों द्वारा विषेला पानी सड़कों पर छोड़ा जा रहा था, उन्हें विभाग की ओर से नोटिस जारी किये गये हैं तथा इस संबंध में एक रिपोर्ट बनाकर बोर्ड मुख्यालय को भेजी गई हैं, जिसमें उक्त कम्पनियों पर पर्यावरण को क्षति पहुंचना दर्शाया गया हैं। साथ ही बताया कि अन्य उद्योग प्रबन्धन को हिदायत दी गई है कि वह तत्काल प्रभाव से ईटीवी संचालन दुरूस्त करें अन्यथा उनके खिलाफ ठोस कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जायेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जिन कम्पनियों को चेतावनी दी गई हैं, अगर उन्होंने अपने कार्यो में सुधार नहीं किया, तो उनके खिलाफ भी संज्ञान लेकर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को होने वाली क्षति को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और बारी-बारी से उनकी टीम सभी उद्योगों की ईटीपी संचालन की जांच करेगी।
वहीं माधोपुर रोड़ स्थित एक प्लाट में कैमिकल युक्त पानी भरा होने के कारण वहां खड़े करीब 250 पेड़ सूखकर नष्ट हो गये तथा अवारा पशु भी इस जहरीले पानी को पीकर मर चुके हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बाबत कई बार अधिकारियों को सूचित किया गया, लेकिन इसका आज तक कोई हल नहीं निकल पाया, जिसके चलते लोगों में विभागीय अधिकारी के खिलाफ रोष पनप रहा हैं।
सनद रहे कि यह उद्योग क्षेत्र के विकास के लिए लगाये गये थे, अब यह लोगों के गले की हड्डी बन रहे हैं।