दैनिक बद्री विशाल
रुड़की/संवाददाता
जाको राखे साईयां, मार सके न कोये, बाल न बांका कर सके, जो जग बैरी होये। यह कहावत नगला-कुबड़ा गांव में देखने को मिली। जहां बड़ी संख्या में लोग एक परिवार को मारने का पूरा प्रयास कर रहे थे लेकिन समय पर पहुंचे थानाध्यक्ष झबरेड़ा रविन्द्र शाह व दरोगा अर्जुन सिंह व दरोगा महेन्द्र पुण्डीर ने वह कर दिखाया, जो बिरले ही करते हैं।
भारी भीड़ ने प्रधान कमरे आलम की हत्या के बाद इरशाद के घर पर धावा बोल दिया और देखते ही देखते कई वाहन फूंक डाले और सिलेण्डर में आग लगाकर घर में डाल दिया। अंदर पांच लोग फंसे हुये थे। जिन्हें निकालना टेढ़ी खीर था। धुंअे में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। चारों ओर आग फैली हुई थी। ऐसे में थानाध्यक्ष रविन्द्र शाह और अर्जुन सिंह व महेन्द्र पुण्डीर जमीन पर लेटकर रेंगते हुए मकान के अंदर पहुंचे और किसी तरह पांचों को बाहर निकाला। उन्होंने बताया कि अंदर फंसे लोगों में इरशाद पुत्र मुनफैत (65), उसकी पत्नि फरीदा (55), शबनम पुत्री मोहसीन (30), जैनब पुत्री मोहसीन (6), अब्दुल रहमान (3) शामिल थे। उन्होंने बताया कि स्थिति इतनी भयावह थी कि धुँए के कारण दोनों बच्चे बेहोश हो चुके थे और धुंअे के कारण उनका भी दम घुटने लगा था। अगर इसमें जरा भी चूक हो जाती तो पांचों का बचना बेहद मुश्किल था। साथ ही उन्होंने बताया कि हमलावर इतने उत्तेजित हो रहे थे कि उन्होंने इस दौरान पुलिस पर लगातार पत्थर फेंके। लेकिन पुलिस बल अधिक होने के कारण मामले को आगे बढ़ने से रोक दिया गया। थानाध्यक्ष रविन्द्र शाह व दरोगा अंर्जुन सिंह की इस बहादुरी पर उनकी पीठ थपथपाई और कहा कि पांच लोगों की जान बचाकर उन्होंने बड़ा काम किया हैं।