रुड़की/संवाददाता
कलियर क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार घसीटा हसन साबरी के खिलाफ लगातार कुछ तथाकथित दबंग लोग साजिश रचने से बाज नही आ रहें है ओर उन्हें हर बार नाकामी ही हाथ लगती है। इन लोगों द्वारा घसीट हसन साबरी को जान से मारने की धमकीयां भी दी जा चुकी है।
गौरतलब है कि कलियर दरगाह हजरत साबीर-ए-पाक की मेला भूमि की अवैध तरीके से सज्जादानशीन परिवार के लोग बिक्री करना चाहते है। इस भूमि को अवैध बिक्री से बचाव को लेकर एक समिति साबीर पाक की जमीन बचाव के नाम से गठित की रखी है। जिसमें नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि शफकत अली, पूर्व नगर पंचायत प्रत्याशी राव इरफान, प्रधान हाजी सलीम उर्फ लाला, प्रधान रोनक अली, सभासद गुलफाम, दानिश सिददीकी, अब्दुल सत्तार, पत्रकार मनवर कुरैशी, तसवर कुरैशी, रहीश कुरैशी, बारू भाई, मुस्तफा त्यागी,शमीम सलमानी, मास्टर शहजाद, नौशाद भाई आदि तमाम अकीदतमंद भूमि बचाव मे लगें है। जब भी सज्जादानशीन के लोग इस मेला भूमि की बिक्री करने का प्रयास करतें है, तो साबीर पाक की जमीन बचाव समिति इसका विरोध करती है। क्योंकि यह अल्लाह के वलियों की जमीन है और मेला भूमि बचाव समिति दरगाह साबीर पाक के पक्ष में इस मेला भूमि को बचाने का काम कर रही है। इसी भूमि बचाव पक्ष में पत्रकार घसीटा हसन साबरी भी समाचार प्रकाशित कर मेला भूमि को बचाने की कोशिश में लगे हुए है। क्योंकि यह एक कौम का मामला है और पत्रकार को सच्चाई उजागर करने का औचित्य होता है। अब से पूर्व 24-9-2016 को पत्रकार घसीटा हसनसाबरी की कार से एक धमकी भरा पत्र मिला था। पत्र में लिखा था की मेला भूमि पक्ष मे यदि तुने कोई समाचार प्रकाशित किया तो वह तेरे लियें ठीक नही होगा। जब बार बार धमकियां मिलने लगी तो मजबूरन घसीटा हसन साबरी ने 21-6-17 को प्रधानमंत्री व उत्तराखंड मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव को पत्र भेज कर सज्जादानशीन परिवार से बचाव हेतु अपनी जानमाल की सुरक्षा की गुहार लगाई थी। जिसमें खुफिया विभाग द्वारा जांच कराई गई थी। जांच के बाद शासन द्वारा गार्ड फाईल डीजीपी उत्तराखंड के समकक्ष पेश की गई थी। जो वर्तमान मे वही पर अटकी पड़ी है। 14-11-2019 को सज्जादानशीन परिवार के लोगों ने घसीटा हसन साबरी पर हमला बोला था। इतना ही नही इनके पास अपने निजि लाइसेंसी हथियार भी है। 29 अक्टूबर को सज्जादानशीन के लोगों ने एक षड़यंत्र के तहत कुछ दंबगों को बहला फुसलाकर रातों रात खोखा लगवाने की ऐवज में पत्रकार पर हमला कराने का प्रयास किया। इस मामले मे पत्रकारों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मांग की कि पत्रकारों को सच्चाई लिखने से रोका जा रहा है और दंबगों द्वारा पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है। ऐसे मामले में मुख्यमंत्री अपने स्तर से जांच कमेटी बनाकर प्रकरण की जांच कराएं ताकि मामले से पर्दाफाश हो सके।