हरिद्वार। अग्नि अखाड़ा छोड़कर निरंजनी अखाड़े में गए कंैलाशानंद ब्रह्मचारी की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। एक ओर निरंजनी अखाड़े के आचार्य मण्डलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंद अखाड़े के निर्णय को लेकर मुखर हो गए हैं वहीं स्वामी कैलाशानंद द्वारा अपने शिष्य अंकुश को काली मंदिर पीठ पर बैठाने की तैयारी के चलते अग्नि अखाड़े के संत भी नाराज हो गए हैं। बता दें कि अंकुश का बुधवार शाम को अग्नि अखाड़े में ब्रह्मचारी के रूप में अभिषेक किया गया, जिसके बाद उनका काली मंदिर पीठ पर बैठने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि अग्नि अखाड़े के कुछ पदाधिकारी इसका विरोध कर रहे हैं और वो दूसरे शिष्य कृष्णानंद ब्रह्मचारी को काली मंदिर पीठ पर बैठाने की तैयारी कर रहे हैं।
बता दें कि काली मंदिर पीठ अग्नि अखाड़े के स्वामित्व में है। अभी तक इस पीठ पर अग्नि अखाड़े के कैलाशानंद ब्रह्मचारी आसीन थे। लेकिन कैलाशानंद ब्रह्मचारी पिछले हफ्ते निरंजनी अखाड़े में शामिल हो गए हैं। निरंजनी अखाड़े ने कैलाशानंद ब्रह्मचारी को आचार्य महामंडलेश्वर बनाने का एलान किया है। निरंजनी अखाड़े में जाने के बाद भी कैलाशानंद अग्नि अखाड़े के स्वामित्व वाली काली मंदिर पीठ पर बने रहे। कैलाशानंद को निरंजनी अखाड़े में शामिल हुए अभी एक हफ्ता भी नहीं हुआ है कि बुधवार उन्होंने अचानक ही अपने नाबालिग शिष्य अंकुश शुक्ला को अग्नि अखाड़े के ब्रह्मचारी दीक्षित करा दिया। कैलाशानंद ने साफ कह दिया कि उनका शिष्य अग्नि अखाड़े में दीक्षित हुआ है। वहीं अब काली पीठ का संचालन करेगा और फिलहाल काली पीठ के पीठाधीश्वर वह स्वयं रहेंगे। इसका फैसला स्वामी कैलाशानंद के संन्यास लेने से पूर्व ही हो गया था। इसके साथ ही महादेवी नक्षत्रम की प्रद्युम्न के नाम की गयी सम्पत्ति को भी निरंजनी अखाड़े की आचार्य पीठ बनाने का निर्णय कर लिया गया। जबकि इसका विवाद न्यायालय में विचाराधीन है। अंकुश को शिष्य बनाने और भविष्य में काली पीठ का संचालन करने के उनके इस फैसले का अग्नि अखाड़े के कुछ पदाधिकारियों ने विरोध किया है। अग्नि अखाड़े के सभापति महंत मुक्तानंद ने कहा कि कैलाशानंद ब्रह्मचारी को अग्नि अखाड़ा छोड़कर निरंजनी का सन्यासी बनना पड़ा। परम्परानुसार अखाड़ा बदल लेने के बाद कैलाशानंद का अग्नि अखाड़े के स्वामित्व वाली सभी सम्पतियों पर कोई अधिकार नहीं बनाता है। वह कालीपीठ को भी अपने शिष्य के जरिये अपने पास रखना चाहते हैं। विरोध कर रहे संतों ने कहा कि अंकुश को नहीं दूसरे शिष्य कृष्णानंद ब्रह्मचारी को गद्दी पर बैठाया जाएगा। वहीं कैलाशानंद के शिष्य अंकुश को गुजरात के सौराष्ट्र में अग्नि अखाड़े की दूसरी पीठ में भेजने की घोषणा कर दी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि ने कहा कि उन्होंने तीन अखाड़ों की आपातकाल बैठक बुलाई थी। यह प्राचीन परंपरा है, जूना अखाड़े, अग्नि अखाड़े और आवाहन अखाड़े का कोई मामला हो उसका निर्णय बैठक में संयुक्त रूप से लिया जाता है। अग्नि अखाड़े के मामले को लेकर बैठक में चर्चा की गई। क्योंकि अग्नि अखाड़ा 10 नामियों का अखाड़ा है और दक्षिण कालीपीठ अग्नि अखाड़े की एक शाखा है। इनका कहना है कि तीनों अखाड़े नहीं चाहते कि कैलाशानंद निरंजनी अखाड़े में चले जाए और ना ही इन्हें जाना चाहिए। क्योंकि कोई भी अपना घर कमजोर नहीं करता है। यह शिष्टाचार व्यवस्थाएं होती हैं। इस बैठक में चिंतन किया गया कि अग्नि अखाड़े का विकास कैसे किया जाए और किसी भी प्रकार के विवाद में अग्नि अखाड़ा न फंसे इसलिए कई विकल्पों पर चर्चा की गई।