शेष धन को मेला आरक्षित क्षेत्र में शौचालय निर्माण व घास लागने में किया खर्च
हरिद्वार। कुंभ मेले को दिव्य व भव्य बनाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार प्रयास कर रही है। किन्तु अधिकारियों की कार्यशैली पलीता लगाने का कार्य ही कर रही है। जिसके चलते धन की बर्वादी जमकर की जा रही है। इसी के चलते विगत 3 दिसम्बर को केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक कुंभ कार्यों के निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को कड़ी फटकार लगा चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने निर्माण कार्यों की जांच कराने की बात भी कही है।
बता दें कि डा. निशंक ने अपने प्रयासों से हरकी पैड़ी के सौदर्यीकरण के लिए आईओएलसी से 35 करोड़ रुपये की राशि दिलायी थी। हरकी पैड़ी के सौदर्यीकरण के लिए वेब कोस कम्पनी को सौदर्यीकरण का कार्य दिया गया। सौदर्यीकरण कार्य के लिए वेब कोस ने नमामि गंगे के माध्यम से डीपीआर तैयार करायी। बावजूद इसके निर्माण का कार्य यूपी सिंचाई विभाग की शाखा यूपीडीसीसी को दे दिया गया। यूपीडीसीसी ने टेंडर निकालकर बरेली की फर्म सत्य सांई को यह कार्य 28.80 करोड़ में दे दिया। हरकी पैडी के सौदर्यीकरण के अंतर्गत प्रस्तावित कार्य में हरकी पैडी पर पत्थर लगाना, घाटों पर स्टिील की रैंलिंग, एनईडी, स्क्रीन, टूटी दीवार, दो गेटों का निर्माण करवाने के साथ ऐसी व्यवस्था करना था जिससे करीब एक लाख श्रद्धालु हरकी पैडी पर होने वाली भव्य आरती का अवलोकन कर सके। किन्तु निशंक की कार्ययोजना को अधिकारियों ने पलीता लगा दिया।
इतना ही नहीं हरकी पैड़ी के सौदर्यीकरण के लिए दिए गए धन को अन्यत्र कार्य में लगा दिया। 35 करोड़ की धनराशि में से 18 से 20 करोड़ की धनराशि रोडीबेलवाला मैदान के सौंदर्यीकरण पर खर्च कर दी। जिसके अंतर्गत रोडीबेलवाला क्षेत्र में 84 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में घासल लगाने और समतलीकरण का कार्य करवाया जा रहा है। मैदान में घास लगाने के लिए 84 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से खर्च किया जा रहा है। जो की चंडी चैक से सीसीआर तक लगायी जाएगी। इसके साथ ही 28 सीटर शौचालय का निर्माण रोडी बेलवाला क्षेत्र में कराया जा रहा है। हैरानी की बात यह कि जिस रोडी बेलवाला क्षेत्र में स्थायी निर्माण करवाया जा रहा है वह मेले के लिए आरक्षित भूमि है। जिसमें स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं जिसे क्षेत्र में घास लगाने का कार्य करवाया जा रहा है। उस स्थान पर कुंभ मेले में जिग जैग बेरिकेटिंग लगायी जाती है। ऐसे में कुंभ के दौरान जब वहां जिग जैग बेरिकेटिंग लगायी जानी है तो घास लगाने पर करोड़ो रुपये खर्च करने का औचित्य क्या। कुल मिलाकर जिस धनराशि से हरकी पैड़ी का सौदर्यीकरण किया जाना था उसे धन को अन्यत्र खर्च कर जहां हरकी पैड़ी के सौदर्यीकरण में कटौती की गयी वहीं ऐसे स्थान पर निर्माण कार्य और घास लगाकर धन की बर्वादी की गयी जहां न तो स्थायी निर्माण किया जा सकता है और न ही घास लगाने का कोई फायदा होने वाला है। इन सबके चलते अपने निरीक्षण के दौरान केन्द्रीय मंत्री ने नाराजगी जतायी थी। सूत्र बताते हैं कि अब डीपीआर के मुताबिक कार्य न किए जाने और हरकी पैड़ी के सौदर्यीकरण के लिए जारी किए गए धन को अन्यत्र खर्च कराने के मामले में केन्द्रीय मंत्री डा. निशंक ने मामले की जांच कराने का मन बना लिया है। जिससे अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।
हरकी पैडी के सौदर्यीकरण का कार्य देख रहे इंजीनियर संजीव जैन का कहना है कि शासन द्वारा जो डीपीआर स्वीकृत की गयी थी उसी के मुताबिक हरकी पैडी पर सौदर्यीकरण का कार्य किया गया है। अभी तक दस करोड़ रुपये के सौदर्यीकरण का कार्य करवाया जा चुका है। जबकि रोडी बेलवाला क्षेत्र में घास लगाने और अन्य निर्माण के लिए मेला प्रशासन की स्वीकृति के बाद ही कार्य करवाया जा रहा है। उनका कहना था कि चूंकि हरकी पैडी पर भीड़ का दवाब अधिक रहता है, इस कारण वहां अधिक निर्माण कार्य नहीं करवाए जा सकते हैं। इस कारण पुलिस और मेला प्रशासन की स्वीकृति के बाद शेष धनराशि को रोडी बेलवाला क्षेत्र के सौदर्यीकरण के लिए लगाया गया है।