विकलांगता को पीछे छोड़ दिग्विजय सिंह ने मेन्यूवल कार रेस में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में हुआ जोरदार स्वागत

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रुड़की।
खानपुर विधानसभा क्षेत्र के दाबकी कलां गांव निवासी दिग्विजय सिंह ने कमाल कर दिया। उन्होंने विकलांग होने के बावजूद इंटरनेशनल स्पोट्स गैम्बल इण्डिया द्वारा आयोजित 3 हजार किमी की दूरी जो 60 घंटे में तय करनी थी, उसे 58 घंटे में पूरा कर दिखाया। उनकी यह उपलब्धि इण्डिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज की गई। कड़ी जांच-पड़ताल के बाद 5 महीने के अंतराल में चीफ एडिटर पवन सोलंकी द्वारा वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया जाना इस बात का सबूत है कि वास्तव में इंजी. दिग्विजय सिंह में विशेष योग्यता हैं और अपने हुनर के बल पर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।

जबकि सामान्य तौर पर भी व्यक्ति को कड़ी अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता हैं। उसके बावजूद भी सफलता नहीं मिलती।
बताया गया है कि इंजी. दिग्विजय सिंह जितेन्द्र कुमार वर्मा के बेटे हैं और वह बाल्यकाल से ही विकलांग हैं। लेकिन उनकी सोच और उच्च विचारों में विकलांगता कहीं भी आड़े नहीं आती। उनकी इस सफलता पर देश को नाज है। आज इसी के तहत इंजी. दिग्विजय सिंह को दिल्ली में स्थित उत्तराखण्ड सदन के सभागार में अतिथियों ने सम्मान समारोह के दौरान गोल्ड मैडल व प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए व्हीलिंग हैप्पीनेश फाउण्डेशन की सीओ, अर्जुन अवार्ड, खेल रत्न व पदमश्री अवार्ड से पुरूस्कृत दीपा मलिक ने दिग्विजय सिंह के हौंसले और उनके जज्बे को सलाम करते हुए कहा कि वास्तव में उन्होंने जो उपलब्धि हासिल की, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने दिग्विजय सिंह को आशीर्वाद देते हुए कहा कि वह स्वयं भी विकलांग हैं और उनकी एक बेटी भी विकलांग हैं। लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी और इस विकलांगता को दिव्यांगता में तब्दील करने के लिए कड़ी मेहनत और लग्न से प्रयास किया। इसी की बदौलत आज उनके पास अनेकों मैडल हैं। जो यह साबित करते हैं कि शरीर दिव्यांग हो सकता हैं लेकिन मन और आत्मा नही। यदि आप प्रण कर लें तो हर मुश्किल से पार पाया जा सकता हैं। उन्होंने एक कविता की पंक्तियों के माध्यम से दिग्विजय सिंह का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि ‘ईश्वर पर भरोसा हैं, तो किस्मत का लिखा पाओगे और यदि खुद पर भरोसा हैं, तो ईश्वर वह लिखेगा, जो तुम चाहोगे’। इसके साथ ही उन्होंने अपने जीवन के अनेक संस्मरण साझा किये। उन्होंने कहा कि हमें अपने मन और तन को मजबूत रखते हुए नई उंचाईयों को हासिल करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने पर दिग्विजय सिंह को ढेर सारी शुभकामनाएं दी। साथ ही इस उपलब्धि में उनका साथ देने पर उनकी पत्नि रेणु दिग्विजय सिंह को भी बधाई दी। वहीं उत्तराखण्ड के रुड़की से कार्यक्रम में पहंुचे पूर्व राज्यमंत्री व स्पांसर ठाकुर संजय सिंह ने कहा कि वास्तव में दिग्विजय सिंह की यह उपलब्धि अन्य दिव्यांगों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बनेगी। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री और खेल मंत्री से मिलकर जल्द ही खेलों में दिव्यांगों की प्राथमिकता की नीति को लेकर भी भ्रसक प्रयास करेंगे। ताकि प्रदेश और क्षेत्र की अन्य प्रतिभाओं को भी अपना हुनर तराशने का मौका मिल सके। इस दौरान उन्होंने दिग्विजय सिंह की पीठ थपथपाते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा, मीना कण्डवाल, सुदेव बराड, वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से बलदेव बत्रा समेत अनेक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने दिग्विजय सिंह को उनकी इस उपलब्धि के लिए शुभकामनाएं दी।

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