हरिद्वार। गुरु कार्षि्ण घाट में पांच दिवसीय माँ बगलामुखी महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर सोमवार को संतों और भक्तसनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण और सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प लिया। पूर्णाहुति के अवसर पर भूमापीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने कहा की सनातन धर्म की रक्षा का सबसे प्रमुख दायित्व संतों का है। धर्म के लिये संत बलिदान नहीं देंगे तो कौन देगा?
उन्होंने कहा कि धर्म संसद के लिये जिस भी संत पर मुकदमा होगा, उसकी जमानत वो स्वयं करवायंेग।े क्योंकि वो जानते हैं कि सनातन धर्म खतरे में है और धर्म संसद में सन्तांे ने बिल्कुल उचित बात उठाई है।
यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा कि माँ बगलामुखी महायज्ञ एक कल्पवृक्ष के समान है। जिससे साधक की हर सात्विक मनोकामना पूर्ण होती है। सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना,सनातन धर्म की रक्षा और सनातन के शत्रुओं के विनाश के लिये माँ गंगा के पवित्र तट पर सम्पन्न हुआ महायज्ञ अवश्य ही शुभ और वांछित फलदायक सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि अब हिन्दुओं को यहूदियों से सबक लेकर इजरायल की तरह सनातन वैदिक राष्ट्र बनाना चाहिये जिसमें कोई मस्जिद, मदरसा और जिहादी न हो। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सौ करोड़ हिन्दुओं का अपना कोई देश नहीं है। इसी कारण प्रतिदिन हिन्दुओं पर तरह-तरह के अत्याचार होते हैं और हिन्दू मौन रहकर सब कुछ देखता रहता है। अब हमें कुछ भी करके अपने पूर्वजों की गलती को सुधारना है और अपना सनातन वैदिक राष्ट्र बनाना ही पड़ेगा वरना धर्म और इतिहास हमंे कभी क्षमा नहीं करेगा।
उन्होंने श्रीपरशुराम अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधीर कौशिक व उनकी पूरी टीम को इस आयोजन के लिए बहुत साधुवाद दिया। इस अवसर पर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ, महामंडलेश्वर साध्वी डॉ. अन्नपूर्णा भारती, महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद आचार्य, स्वामी अमृतानंद, स्वामी ललितानंद,बलराम मुनि व योगी राजीव नाथ के सानिध्य में हुए धर्म रक्षा के इस महायज्ञ में बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।