हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां अखाड़े के आचार्य मण्डलेश्वर पद पर स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज आसीन हैं वहीं अखाड़े द्वारा स्वामी कैलाशानंद को आचार्य बनाने की घोषणा के बाद विवाद गहरा गया है। जहां स्वामी प्रज्ञानानंद का कहना है कि वे आचार्य थे, हैं और रहेंगे। उन्होंने त्यागपत्र नहीं दिया है। जबकि उनके निष्कासन का कारण स्वामी प्रज्ञानानंद द्वारा अखाड़े की मर्यादा को भंग करना बताया गया है।
निरंजनी अखाड़े के आचार्य पद को पिछले कई दिनों से चल रहा विवाद में आज नया मोड़ तब आ गया जब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि आज के बाद से स्वामी प्रज्ञानानंद का अखाड़े से कोई संबंध नही। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रज्ञानानंद ने अखाड़े की मर्यादा को भंग किया है जिस कारण उन्हें अखाड़े की सर्वसम्मति से अखाड़े स बाहर किया जाता है।
यहां विचारणीय है कि अखाड़े के श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज ने मर्यादा भंग करने की बात कहते हुए उनको निष्कासित करने की बात कही, किन्तु कौन सी मर्यादा को भंग किया यह नहीं बता पाए। जबकि आचार्य पद पर होते हुए दूसरे को आचार्य बनाने की घोषणा के बाद स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज ने इसे अर्मादित बताते हुए इसके खिलाफ कोर्ट और संतों की अदालत में जाने की बात कही है।