मंदिरों की व्यवस्थाएं संचालकों के जिम्मे पर ही छोड़ी
हरिद्वार। सोमवार से देशभर में मंदिर मस्जिद समेत सभी धार्मिक स्थल खोल दिए गए हैं। करीब ढाई महीनों बाद भक्त का भगवान से मिलन हुआ। लोग सुबह-सुबह ही मंदिरों में पहुंचे और सामाजिक दूरी समेत सभी नियमों का पालन करते हुए भगवान के दर्शनों का लाभ लिया।
सरकार के दिशा-निर्देश के मुताबिक तीर्थनगरी में भी सभी धार्मिक स्थल सुबह से ही श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। जहां नियमों का पालन करते हुए लोगों ने भगवान के दर्शन किए। मंदिरों में सामाजिक दूरी के साथ किसी भी प्रकार के प्रसाद, फूल आदि के चढ़ाने पर प्रतिबंध रहा। वहीं मंदिरों में बिना मास्क पहने लोगों को प्रवेश नहीं करने दिया गया। कुछ मंदिरों में जहां लोग बिना मास्क के दर्शनों के लिए आए थे उन्हें मास्क देकर ही प्रवेश की अनुमति दी गयी। गर्भगृह में प्रवेश से पूर्व लोगों के हाथों को सेनेटाईज करवाया गया। इसके साथ ही सामाजिक दूरी को पूरा पालन किया गया। हालांकि मंदिरों में लॉकडाउन से पूर्व जितनी भीड़ नहीं रही। वहीं मंदिरों को खोले जाने से पूर्व ही सेनेटाइज आदि किया गया था। वहीं विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर भी लोगों ने गंगा में जहां डुबकी लगायी वहीं गंगा आरती का भी आनन्द लिया। मठ, मंदिर खोलने के साथ घंटे घडि़यालों की गूंज सुनायी देने लगी। मां माया देवी मंदिर सहित भगवान शिव की ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर, माँ चंडी देवी मंदिर आज सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए खोले गए। हर की पौड़ी गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं में उत्साह देखने लायक था। मनसा देवी मंदिर के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि आज तकरीबन 3 महीने के बाद मनसा देवी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है। मंदिर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सैनिटइज मशीन भी लगाई गई है। साथ ही पुजारियों को निर्देश दिए गए हैं। श्रद्धालुओं को टीका ना लगाएं और ना ही प्रसाद चढ़ाएं, जो भी श्रद्धालु मां मनसा देवी के दर्शन करें वह सूक्ष्म रूप से मां को भोग लगाएं। भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। धार्मिक स्थल खुलने से उत्तराखंड का विकास भी होगा हम मां गंगा से प्रार्थना करते हैं। उत्तराखंड की खुशहाली वापस आए। सरकार ने मंदिरों को खोले जाने के निर्देश तो दे दिए थे, किन्तु श्रद्धालुओं के दर्शन करने और अन्य व्यवस्थाएं मंदिर संचालकों के भरोसे ही छोड़ दी थी। व्यवस्थाएं सरकार की गाइड लाईन के मुताबिक बनी रहीं इसके लिए किसी भी मठ-मंदिर में किसी पुलिसकर्मी को तैनात नहीं किया गया था और न ही किसी अधिकारी ने व्यवस्थाओं का जायजा तक लिया। बावजूद इसे करीब ढ़ाई महीनों बाद भगवान के दर्शन पाकर श्रद्धालु खुश नजर आए।