नई टिहरी। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डा. पीपी ध्यानी ने कहाकि तीन दिन पूर्व एक पोर्टल पर प्रकाशित खबर जिसमें उल्लेख किया गया टिहरी एवं देहरादून के 02 कुलपतियों द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के अम्बे्रला अधिनियम 2020 का विभिन्न माध्यमों से विरोध किया गया। पुनः 27 सितम्बर को खबर प्रकाशित की गयी। खबर में आरोप लगाया गया कि सरकार और उच्च शिक्षा मन्त्रालय को बदनाम करने की मंशा से 2 कुलपतियों द्वारा यह खेल खेला गया। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर सुयोग्य व्यक्ति सरकार द्वारा चयनित किये जाते हैं। ऐसी स्थिति में कैसे कोई कुलपति अपने मंत्रालय एवं सरकार के विरूद्ध षडयन्त्र कर सकता है ? खबर में उल्लेख किया गया है कि अम्बे्रला एक्ट के विरोध में पटकथा 15 सितम्बर को लिखी गयी, जिसके लिए 02 कुलपतियों पर सवाल उठाये गये हैं, उसी खबर में एक कुलपति 16 सितम्बर को रानीचैरी स्थित आवास में पहुंचे। जब पटकथा 15 तारीख को लिखी गयी तो 16 तारीख को जो कुलपति रानीचैंरी पहुंचे उन्होंने क्या किया ? एक्ट के विरोध में मोटी रकम खर्च किये जाने की भी बात कही गयी है, लेकिन इसका उल्लेख नहीं किया गया कि रकम कहां खर्च की गयी ? जिन पर मोटी धनराशि खर्च की गयी, वे कौन हैं ? और एक्ट के विरोध के लिए क्या करेंगे। 15 सितम्बर को जिससे फोन पर वार्ता हुयी वह व्यक्ति कौन है और हरिद्वार जनपद के किस शिक्षण संस्थान के स्वामी से वार्ता हुयी इसका भी कोई उल्लेख नहीं किया गया।
इन खबरों में टिहरी में स्थापित एक विश्वविद्यालय के कुलपति का जिक्र किया गया है, चूंकि कि टिहरी गढ़वाल में अन्य कोई भी विश्वविद्यालय स्थापित/अवस्थित नहीं है, जिससे पूर्णतया यह स्पष्ट हो रहा है कि सम्बन्ध्खिबर का स्पष्ट इशारा श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं इसके कुलपति के विरूद्ध है। खबर के द्वारा श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं इसके कुलपति की छवि को धूमिल करने का प्रयास है। यह अवगत कराना है कि श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं इसके कुलपति के विरूद्ध कुलपति की छवि धूमिल हुई है।
श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, बादशाहीथौल टिहरी गढ़वाल के कुलपति डा. पीपी ध्यानी ने इसका खण्डन किया है। उन्होंने कठोर वैधानिक कार्यवाही अमल में लाने एवं सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने की बात कही है।