हरिद्वार। हरकी पैड़ी ने डामकोठी तक हरीश रावत सरकार द्वारा गंगा को स्क्रैप चैनल घोषित किए जाने के बाद उठे बवाल पर सत्तारूढ़ भाजपा ने सत्ता में आने के बाद स्क्रैप चैनल के आदेश को हटाकर पुनः गंगा किए जाने का वायदा करते हुए हरीश रावत सरकार को इस मुद्दे पर जोरदार विरोध किया था। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार का आधा कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी भाजपा अपने वायदे को पूरा नहीं कर पायी। जिस कारण से पुरोहित समाज में सरकार के प्रति खासा रोष है। इस सबंध में भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक त्रिपाठी प्रदेश सरकार व सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक पर कड़े आरोप भी लगा चुके हैं। आरोपों पर विवाद बने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को भी बीच में आना पड़ा था।
गंगा नदी को स्क्रैप चैनल घोषित किए जाने वाले फरमान को अभी तक वापस न लिए जाने के संबंध में कड़ी नाराजगी जताते हुए ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने कहाकि सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की, सभी की अपनी-अपनी मजबूरियां हैं। वह गंगा को नहर या नाला कह सकते हैं। परन्तु यह सर्व विदित है कि जिसे ब्रह्म कुण्ड कहा जाता है वहां ब्रह्मा जी ने एक कल्प तक तपस्या की थी। इसी कारण इस स्थान का नाम ब्रह्म कुण्ड पड़ा। यहां राजा विक्रमादित्य के भाई भ्रतहरि ने तप किया। कहाकि हरकी पैड़ी ऐसा स्थान है जहां सांस लेने मात्र से भी मोक्ष मिल जाता है। उन्होंने कहाकि समूचा हरिद्वार काल पुरूष का रूप है। ब्रह्म कुण्ड को काल पुरूष का मुख कहा जाता है वहीं समूचे उत्तरी हरिद्वार को काल पुरुष का सिर। कुशा घाट का भाग भगवान की ह्रदय स्थली कहा जाता है। माया देवी का स्थान नाभि है। कनखल दक्ष प्रजापति का स्थान लिंग मूल है। मिश्रपुर ग्राम तक भगवान के पैर हैं। दाहिना हाथ सुरेश्वरी देवी से होते हुए पूरे ज्वालापुर तक है। बांया हाथ नीलेश्वर महादेव तक है। मनसा और चंडी देवी के पर्वत इस काल पुरुष की आंखे हैं। कहाकि पूरा जंगल इस हरिद्वार काल पुरुष के रोम ओर बाल हैं। इस पुरुष के दाहिने हिस्से में आने वाला प्रत्येक अंग धन दौलत से परिपूर्ण है। वो चाहे स्कन्द पर स्थित शिवालिक नगर, सिडकुल, बीएचईएल हो या दाहिनी कलाई पर ज्वालापुर हो। इस पुरुष का बांये भाग में योग ही योग है। उसमंे पूरा काली मंदिर से होता हुआ गौरी शंकर द्वीप तक का भाग है। जो योग भूमि है। इस पुरुष का ध्यान करने वाला कोई भी हरिद्वार निवासी उन्नति करता है। परंतु इस काल पुरूष कि दोनों हाथो की अंगुलियों हरिद्वार से बाहर निकली हुई है। इसलिए हरिद्वार में बाहर से आए हुए व्यक्ति ही सफलता प्राप्त करते हैं। परन्तु इसका लाभ भी है की यहां की माया हरिद्वार से बाहर नहीं जाती है। यही पर रहती है।