मंगलवार को मनाए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व
हरिद्वार। श्री कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाती है। पहले जब रात्रि को भगवान का जन्म हुआ तब रात्रि 12 बजे अष्टमी जब होती है। उस दिन ये व्रत गृहस्थ लोग करते है। दूसरे दिन जब भगवान यशोदा माता के घर आ गए तब उत्सव मनाते हैं। दूसरे दिन का जन्मोत्सव वैष्णव और पहले दिन शैव जन्माष्टमी का पर्व म नाते हैं। वैष्णवों में वह आते हैं जिन्होंने दीक्षा ली हो, मस्तक पर गोपी चंदन, गले में तुलसी माला, तिलक, लगाते हैं और हर समय महा मंत्र का जाप करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मंगलवार एवं बुधवार को होगी। मंगलवार को प्रातः 9 बजे के बाद अष्टमी तिथि लगेगी और मंगलवार अर्धरात्रि में अष्टमी ही होगी। बुधवार को अष्टमी दोपहर 11.15 तक ही होगी। बुधवार को रात्रि में अष्टमी नहीं होगी। इसलिए गृहस्थ आश्रम वालों को अपने परिवार में सुख, धन, पुत्र प्राप्ति के लिए मंगलवार को ही व्रत रखना श्रेयस्कर होगा। बताया कि दूसरे दिन बुधवार को भगवान के जन्म के उत्सव पर कृष्ण स्त्रोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके साथ कृष्ण स्तुति, कीर्तन, इत्यादि करना श्रेष्ठकारी होगा। श्री मिश्रपुरी ने बताया कि जो लोग किसी कला में निपुणता प्राप्त करना चाहते हैं वह कृष्ण भगवान के बांसुरी बजाते हुए चित्र का ध्यान करंे, जो पुत्र चाहते हैं वो बाल कृष्ण का ध्यान पूजन करें, जो धन चाहते हैं वो रूकमणी सहित पूजा करंे, जो प्रेम भक्ति समस्त सुख चाहते हंै वो राधा सहित ध्यान करें, जो विवाह चाहते हैं वो सत्यभामा सहित कृष्ण का पूजन करें, यदि रोग हो गया हो तो कृष्ण के चक्रधारी रूप का पूजन करें, यदि अवसाद हो तो कृष्ण के सारथी वाले रूप की पूजा अर्चना करें, सभी भय, मृत्यु के भय, सदगति के लिए विश्व रूप का पूजन करना चाहिए।