हरिद्वार। आखिरकार आज वह एतिहासिक क्षण आ ही गया जिसका लाखों करोड़ों राम भक्तों को सदियों से इंतजार था। अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। आज राम भक्तों के सदियों के संकल्प की पूर्णाहुति हुई। राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बने इसके लिए लाखों राम भक्तों ने लंबा संघर्ष किया है। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में हरिद्वार और हरिद्वार के संतों के साथ-साथ कई पत्रकारों ने खुलकर सक्रिय रूप से भागीदारी की थी। एक पत्रकार और उनके कई परिजन आंदोलन के दौरान जेल भी गए थे। वैसे तो राम मंदिर के लिए संघर्ष करीब 5 सदी से चल रहा था मगर इस आंदोलन में तेजी आई साल 1986 के बाद। देश भर में घर-घर राम शिला पूजन, इसके बाद राम रथ यात्रा, विहिप द्वारा मंदिर के शिलान्यास की घोषणा के बाद देश भर में राम भक्तों की भावनाएं उफान पर थी और उत्साह से लबरेज राम भक्त किसी भी कीमत पर राम मंदिर के लिए प्रतिबद्ध थे। राम मंदिर के लिए संघर्ष का इतिहास भी काफी गौरवपूर्ण है। विश्वप्रसिद्ध धर्मनगरी हरिद्वार तो राम जन्मभूमि आंदोलन का प्रमुख केंद्र रही है। राम शिला पूजन, राम रथ यात्रा, और कार सेवाओ से लेकर 1992 की उस इतिहासिक घटना की रणनीति बनाने में भी हरिद्वार की प्रमुख रही है। संतो की नगरी हरिद्वार में सभी प्रमुख संत राम जन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे, तो कई पत्रकार भी थे जो कलम के साथ-साथ आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। हरिद्वार में साल 1990 में जब विहिप ने अयोध्या में शिलान्यास की घोषणा की तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया था। तब राज्य की सत्ता में समाजवादी पार्टी की सरकार की और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन थे। मुलायम सिंह को उस वक्त मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता था, तो मुलायम ने तब घोषणा की थी कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार पायेगा। भले ही मुलायम ने घोषणा कर दी हो मगर राम भक्तों के हौसलें तो आसमान पर थे। विहिप ने अयोध्या में शिलान्यास कार्यक्रम की तैयारियां जोर शोर से शुरू कर दी और हरिद्वार भी इस आंदोलन का प्रमुख केंद्र बना।।
हरिद्वार में वैसे तो कई पत्रकार इस आंदोलन में भागीदारी कर रहे थे मगर सक्रिय रूप से तीन पत्रकारों ने राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी। ये थे हरिद्वार के डॉक्टर रजनीकांत शुक्ला, संजय आर्य और तीसरे बहादराबाद के चंद्रशेखर, इनके अलावा आंदोलन में डॉक्टर शिव शंकर जायसवाल, कौशल सिखौला, गोपाल रावत व सुनील दत्त पांडेय आदि कुछ अन्य पत्रकार भी आंदोलन में अन्य रूप में अपनी भागीदारी दे रहे थे।
रामशिला पूजन में डॉक्टर रजनीकांत शुक्ला ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रामशिला पूजन में भी राम भक्तों में जोश था और डॉक्टर रजनीकांत विहिप के प्रमुख पदाधिकारी के रूप में हरिद्वार ही नहीं बल्कि बिजनौर आदि आसपास के जनपदों में भी आंदोलन को जन-जन तक पंहुचाने में जुटे हुए थे। रजनीकांत जब मंच से अपना संबोधन देते थे तब लोगो में जबरदस्त उत्साह भर देते थे। और यही उत्साह रामजन्मभूमि आंदोलन की सफलता में सहायक बना। इसके बाद 1989 ,1990 1991 और 1992 कार सेवा में भी उनकी आंदोलन में प्रमुख भूमिका रही।
हरिद्वार के दूसरे पत्रकार थे, जो बहादराबाद में उस वक्त दैनिक जागरण के प्रतिनोधि के रूप में कार्यरत थे। चंद्रशेखर निर्भीक और बेबाक पत्रकार माने जाते थे। यही निर्भीकता और बेबाकी रामजन्मभूमि आंदोलन में भी उनकी सक्रिय भूमिका की वजह बनी। वह भी जोशीले भाषण के लिए जाने जाते थे।
इसी तरह उस वक्त साल 1990 में एक स्थानीय अखबार से पत्रकारिता शुरू करने वाले संजय आर्य ने भी रामजन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। हरिद्वार के संजय आर्य एकमात्र ऐसे पत्रकार थे जो दो बार ना केवल कार सेवा के लिए अयोध्या गए बल्कि साल 1990 में तत्कालीन मुलायम सरकार जब आंदोलन को कुचलने में लगी हुई थी तब इन्होंने और इनके पूरे परिवार ने हरिद्वार में आंदोलन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान दिया। विहिप ने नवंबर 1990 में अयोध्या में शिलान्यास करने की घोषणा की थी तब हरिद्वार में भी इसके लिए जोरदार तैयारियां चल रही थी। उन तैयारियों में संजय आर्य भी जोरशोर से लगे हुए थे। मगर मुलायम सरकार तो आंदोलन को हर हाल में कुचलने पर आमादा थी और कार सेवकों को किसी भी तरह से अयोध्या नहीं पंहुचाने देने की कोशिशों में लगी हुई थी। अपनी इन्हीं कोशिशों के तहत हरिद्वार पुलिस ने तब हरिद्वार से भाजपा और विहिप के जिन 18 बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया था उनमें एक संजय आर्य भी थे। इन सब को मेरठ की बच्चा जेल भेज दिया गया था। इसके तीन दिन बाद ही कुछ और आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी की गई जिनमे संजय आर्य के भाई अरुण आर्य, चाचा राजेन्द्र गर्ग और मामा रविन्द्र गोयल भी थे। इन सब को रुड़की की जेल में बंद किया गया था। संजय आर्य के परिवार के चार सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद भी उनके परिवार के हौसलें नहीं टूटे और उनके पिता संत कुमार आर्य जो तब भाजपा की प्रांतीय परिषद के सदस्य थे और माता सरोज आर्य जो भाजपा महिला मोर्चा की महामंत्री थी, ने अपने कुछ साथियों और राम भक्तों के साथ आंदोलन को जारी रखा।
हरिद्वार के पत्रकारों ने भी उस वक्त जो संकल्प किया था कि राम लला हम आएंगे मंदिर वंही बनाएंगे, आज उन सबका संकल्प पूरा हो रहा है। आज अयोध्या में भगवान राम के उस भव्य मंदिर की आधारशिला पीएम मोदी के हाथों रखी गई है जो केवल एक राम का मंदिर का निर्माण ही नहीं है बल्कि वह राष्ट्र का निर्माण है। आज वह दिन है जो इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। इस मंदिर के साथ हिंदुस्तान में हिन्दू राष्ट्र की भी आधारशिला जा रही है।