रिटायर्ड दारोगा ने कानूनी प्रक्रिया की आड़ में लगाया शोषण का आरोप, पुलिस विभाग में चमचागिरी और दलालों का बोलबाला: सच्चिदानंद

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रुड़की/संवाददाता
सेवानिवृत्त दरोगा सच्चिदानंद ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि वह 1980 में पुलिस में भर्ती हुये थे। साथ ही यह खुलासा किया कि पुलिस विभाग में ईमानदारी से कर्तव्यपालन करना बेहद कठिन हैं। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया की आड़ में ईमानदारी से नहीं बल्कि चुगलखोरी, चापलूसी, चमचागिरी व दलाली से शासन-प्रशासन, न्यायालय व उच्च न्यायालय को भ्रमित कर भ्रष्टाचार के आधार पर प्रभावशाली लोगों को अनुचित लाभ दिलया जाता हैं। दलित होने के कारण उन पर अत्याचार किये गये। इस बार उन्होंने अनेक पत्राचार किये, लेकिन न्याय नहीं मिल पाया। उनके द्वारा शोषण सहते हुए वर्ष 2004 में भी महामहिम राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम को पत्र लिखकर पुलिस सुधार के लिए संज्ञान लेने की बात कही। भ्रष्ट प्रतिशोध के कारण मेरे परिवार की स्थिति बद् से बद्त्तर हो गई। उन्होंने बताया कि मण्डी के एक मामले में धोखेबाज गुलशन कुमार ने धोखाधड़ी के एक केस को सिविल मेटर बताकर समाप्त करा दिया। एक बार नहीं बल्कि तीन बार पिफर दूसरे धोखाधड़ी केस मेरे हाथ में आया, जिस पर आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किये और गुलशन कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा तथा विवादित मण्डी की दुकान और गोदाम को सीज कराया। लेकिन कानून की आंखों में धूल झोककर अनुजचित लाभ लेकर उसी दुकान में व्यापार कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि आज भी प्रक्रिया की आड़ में देश के किसान, मजदूर, गरीब, ईमानदार व्यक्तियों के साथ ही दलित वर्गो का शोषण हो रहा हैं। जिस पर जनहित में विचार होना बेहद जरूरी हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वास्तव में ही सच्चिदानंद बेहद पढ़े-लिखे, ईमानदार और अच्छी छवि के दरोगा रहे हैं और उन्होंने पुलिस विभाग की कमियों को बेहद नजदीक से देखा हैं। उनके घर की दयनीयता और प्रमोशन न होना उनकी ईमानदारी को दर्शाता हैं। इससे पता चलता है कि वास्तव में पुलिस विभाग में भी अन्दरखाने बड़ा भ्रष्टाचार हैं। लोगों को कानून का डर दिखाकर डराया, धमकाया जाता हैं और उसके बदले में वसूली भी होती हैं। सेवानिवृत्त दरोगा सच्चिदानंद ने कहा कि पिछले दिनों उनके बेटे के साथ कुछ लोगों द्वारा मारपीट की गई। उनका निवास भंगेड़ी में हैं, उसके बावजूद भी उनकी रिपोर्ट आज तक दर्ज नहीं हो पाई। जब कानून के रखवाले को ही न्याय न मिले, तो आम आदमी को क्या न्याय मिलता होगा? इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं। जिस माफिया पर उन्होंने शिकंजा कसा, वहीं विभाग के लोगों से मिलकर उल्टे उन्हीं की झूठी शिकायत पुलिस प्राधिकरण में कर दी। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग ने उनकी ख्याति का हनन किया हैं।

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