गुरु के आश्रम पर जबरन कब्जा करने का लगाया आरोप
हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की साध्वी ज्योर्तिमयानंद ने अखाड़े के श्री महंत रविन्दपुरी महाराज व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज पर उनके गुरु के आश्रम पर जबरन कब्जे का आरोप लगाते हुए उनके द्वारा हत्या किए जाने की आशंका जतायी है।
गुरुवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए साध्वी ज्यार्तिमयानंद शिष्या ब्रह्मलीन स्वामी गणेशानंद ने बताया कि उत्तरी हरिद्वार स्थित भीमगोड़ा में उनके गुरु का मोहनानंद व भोलागिरि के नाम से दो आश्रम हैं। गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार दोनों आश्रमों की स्वामी वह हैं, किन्तु निरंजनी अखाड़े के श्री महंत रविन्द्रपुरी महाराज ने जबरन उनके आश्रमांे पर कब्जा किया हुआ है। कहाकि रविन्द्रपुरी महाराज अखाड़ा परम्परा से हैं, जबकि वे गुरु-शिष्य परम्परा से उत्तराधिकारी हैं। बताया कि उनके गुरु स्वामी गणेशानंद महाराज द्वारा उनको आश्रमों का उत्तराधिकारी घोषित किया गया है। इसी संबंध में अखाड़े द्वारा भी वर्ष 2004 में उन्हें गणेशानंद महाराज का उत्तराधिकारी व आश्रमों का संचालक व उत्तराधिकारी माना है। साथ ही इस संबंध में अखाड़े द्वारा लिखित में दिया गया है। बावजूद इसके श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज द्वारा उनके आश्रमों पर जबरन कब्जा किया हुआ है। बताया कि इस संबंध मंे हरिद्वार न्यायालय में उन्होंने वाद भी दायर किया हुआ है। सम्पत्ति के लालच में श्री मंहत रविन्द्रपुरी व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज ने उनको अपनी जान का खतरा बना हुआ है। ये दोनों कभी भी उनकी हत्या करवा सकते है। साध्वी ऋतम्भरा के कहाकि संतों को कार्य सभी को साथ लेकर समाज कल्याण के कार्य करना होता है। सम्पत्ति के लिए झगड़ा करना और जबरन कब्जा करना संतों को शोभा नहीं देता। उन्होंने शासन-प्रशासन से साध्वी ज्यार्तिमयानंद को सुरक्षा दिए जाने की मांग की।