पं. श्रीराम शर्मा की 30वीं पुण्यतिथि पर उनके अभियानों को गति देने का लिया संकल्प
हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में गायत्री जयंती एवं गंगा दशहरा का पर्व समूह साधना और विश्व कल्याण की प्रार्थना के साथ मनाया। इस दौरान अखण्ड जप में सोशल डिस्टेसिंग के पालन के साथ आश्रम के साधकों ने भाग लिया। इस वर्ष लॉकडाउन के कारण शांतिकुंज परिवार ने पर्व पूजन का कार्यक्रम भावनात्मक रूप से सम्पन्न किया। पर्व के दौरान आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों में इस बार कई बदलाव हुए। किसी प्रकार का कोई मंचीय आयोजन नहीं हुआ। गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने वीडियो संदेश दिये। इसे शांतिकुंज व देवसंस्कृति विवि परिवार ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए एलईडी स्क्रीन के माध्यम से लाइव प्रसारण में भागीदारी की, तो वहीं देश-विदेश के गायत्री परिवार के कार्यकर्त्ता भी सोशल मीडिया के माध्यम से आनलाइन लाइव जुड़े।
अपने संदेश में गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गंगा और गायत्री भगवान की दो विशेष विभूतियां हैं। पतित पावनी गंगा में स्नान करने से तन शुद्ध होता है और गायत्री के नियमित पयपान करने से मन पवित्र होता है। इन दोनों का मानवों को नवजीवन देने के लिए अवतरण हुआ है। गायत्री व सूर्य की उपासना से साधक के प्राणों का शोधन होता है और ऊर्जा संचरित होती है, जो साधक को कई तरह की बीमारियों से बचाता है। उन्होंने भारत की गौरव गंगा को बताते हुए गंगा की माहात्म्य की विस्तृत व्याख्या की। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि जिस तरह गुरु गोविन्द सिंह ने गुरुग्रंथ साहिब को गुरु के स्थान पर स्थापित किया है, उसी तरह पं.श्रीराम शर्मा आचार्य कहा है कि मैंने किसी को गुरु की पदवी नहीं दी। आज विश्वभर में फैले गायत्री परिवार के अनुयायी केवल पूज्य आचार्यजी को ही गुरु मानते हैं। गुरुग्रंथ की तरह युग साहित्य सभी को प्रकाशित करेगा।
संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि जिस तरह टाइप टाइटर द्वारा टाइप किये अक्षर का प्रकटीकरण उसके सामने पेपर या स्क्रीन पर दिखता है, ठीक उसी तरह मनुष्य के विचार उनके किये गये कार्यों से पता चलता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह मन से गंगा में स्नान करने से तन शुद्ध हो जाता है, उसी तरह गायत्री की मनोयोगपूर्वक साधना से साधक का विचार पवित्र होता है।
उल्लेखनीय है कि गायत्री परिवार के संस्थापक एवं गायत्री के सिद्ध साधक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने सन् 1990 को गायत्री जयंती के दिन ही महाप्रयाण किया था। उनकी 30वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनके बताये अभियानों को गति देने के संकल्प के साथ भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर आचार्य श्री राम शर्मा पावन समाधि पर साधकों ने पुष्पांजलि अर्पित की।