हरकी पौड़ी से लेकर ललताराव पुल तक चला अभियान
हरिद्वार। श्रमदान में सत्संकल्पों की ऊर्जा भर जाए, तो वह महा श्रमदान बन जाता है। महाश्रमदान के ऐसे ही स्वरूप की मनोरम झांकी कुंभनगरी हरिद्वार का हृदय स्थल माने जाने वाले हरकी पैड़ी से लेकर ललताराव पुल के बीच देखने को मिली। हाथ में खुरपी, तगाड़ी, झाडू लिए हजारों पीतवस्त्रधारी लोकसेवी गंगा मैय्या की गोद में बिखरे रहे, जिन्होंने निर्मल गंगा अभियान के संदेश को फैलाने का कार्य किया। हरकी पैड़ी से लेकर ललताराव पुल तक को सात सेक्टर में बांटकर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के अनुभवी कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में करीब बारह सौ से अधिक स्वयंसेवकों ने अनुशासित होकर अपने-अपने कार्यक्षेत्र में खूब पसीना बहाया। दो वर्ष की नन्हीं बालिका से लेकर 90 वर्ष तक के युवा मन वाले उत्साही लोग गंगा स्वच्छता अभियान में जुटे रहे। इन लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर गंगा मैय्या की गोद से कई टन कूड़ा-कचरा निकाल कर तटों पर इकट्ठा किया, जिसे शांतिकुंज व जिला प्रशासन के सौजन्य से आये ट्रेक्टर ट्रालियों में भरकर निर्धारित स्थानों पर पहुंचाया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी दीपेन्द्र चौधरी ने कहा कि जब-जब शांतिकुंज से सामाजिक कार्यों के लिए सहयोग मांगा है, तब-तब वे आगे बढ़कर सहयोग किया है। मुझे खुशी है कि शांतिकुंज के स्वयंसेवकों ने आज सफाई अभियान में भाग लेकर हरकी पौड़ी से लेकर ललताराव पुल तक के गंगा घाटों व गंगाजी से कूड़ा-कचरा निकाला।
शांतिकुंज दल के नेतृत्व कर रहे हरिमोहन गुप्त ने बताया कि गायत्री परिवार शांतिकुंज द्वारा निर्मल गंगा जन अभियान के अंतर्गत भारत की नदियों में स्वच्छता अभियान अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या के नेतृत्व में चल रहा है। आज जिलाधिकारी श्री चौधरी के आवाहन पर हरिद्वार के हृदय स्थल माने जाने वाले हरकी पौड़ी में वृहत स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया गया। इसमें शांतिकुंज व देसंविवि परिवार के बारह सौ से अधिक लोगों ने जमकर पसीना बहाया। सफाई अभियान में सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल, नगर निगम के उप आयुक्त श्री नेगी, शांतिकुंज के रामसहाय शुक्ल, विष्णु मित्तल, कामता प्रसाद साहू, जयसिंह यादव, अजय त्रिपाठी, संतोष सिंह आदि के अलावा देसंविवि के एनसीसी से जुड़े युवा, भारत स्काउट गाइड जनपद शांतिकुंज के विद्यार्थी सहित विभिन्न राज्यों से गायत्री तीर्थ आये विभिन्न प्रशिक्षण सत्रों के प्रशिक्षणार्थी शामिल रहे।