रुड़की/संवाददाता
पीड़िता आरजू पुत्री प्रताप सिंह निवासी ग्राम मोहम्मदपुर जट्ट कोतवाली मंगलौर ने एसएसपी हरिद्वार को लिखे शिकायती पत्र में बताया कि उसकी छोटी बहन निधि 3 जुलाई को अपने कमरे में सो रही थी, तभी मेरे चाचा संजीत के दो बेटे शिवम उर्फ वियोम व शानू कमरे का दरवाजा तोड़ते हुए घर में घुस आये। शिवम के हाथ में तमंचा तथा शानू के हाथ में नुकीला डंडा था, दोनों लोगों के साथ पड़ोसी सुनील, आर्यन, वासु और तीन अज्ञात लोग थे, जो अपना चेहरा कपड़े से छिपाये हुये थे। इन्हें देखकर वह घबरा गई। तभी शानू व शिवम ने उनके साथ मारपीट करते हुए तमंचे की नोक पर उन्हें धमकी दी कि यहां से चले जाओ वरना तुम तीनों बाप-बेटियों को मार दिया जायेगा। सुनील उर्फ विसलिया व अज्ञात लोगों ने उसकी छोटी बहन निधि से छेड़खानी शुरू कर दी, जब उसने विरोध किया, तो वह जबरदस्ती करने लगे। इस हादसे में उसके शरीर पर काफी चोंटे आई और उसके कपड़े भी फट गये तथा मेरा व मेरी बहन का फोन भी छीन लिया और छोटी बहन को जान से मारने की कोशिश की। कई घंटे तक उक्त गुंडों ने हमें बंधक बनाकर रखा और धमकी दी कि पुलिस से शिकायत की, तो अगली बाहर मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी। आरजू ने यह भी बताया कि इस घटना की जानकारी 100 नम्बर पर दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसके बाद कोतवाली पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की। जिस पर पुलिस ने उनका मैडिकल मांगा। तभी वह अपनी बहन को लेकर सीएससी नारसन मंगलौर पहुँची, जहां कोई महिला चिकित्सक तैनात नहीं मिली। अगले दिन मेरी बहन का चिकित्सकीय परीक्षण हुआ, जिसमें बहन की काफी चोटें सामने आई। इसके बावजूद भी कोतवाली प्रभारी निरीक्षक द्वारा हमारी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। पीड़िता ने जिला कोर्ट रोशनाबाद की वरिष्ठ अधिवक्ता दीक्षा सिंह के माध्यम से एसएसपी को शिकायत कर शिवम उर्फ वियोम, शानू, सुनील, आर्यन, वासु एवं तीन अज्ञात लोगों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। अब देखने वाली बात यह होगी कि पीड़ित को कब तक इंसाफ मिल पाता है या नहीं? यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा।