हरिद्वार। इस माह 21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। ये ग्रहण पूरे भारत में दृश्य होगा। इसके साथ ही कई अन्य देशों में भी ग्रहण दिखायी देगा। ग्रहण के दौरान सूर्य रिंग के आकार में दृश्यमान होंगे। इस कारण इस ग्रहण को रिंग ऑफ फायर कहा जाता है।
मृगशिरा नक्षत्र में मिथुन राशि में पड़ने वाले इस ग्रहण का आरम्भ सुबह लगभग 10 बजकर 32 मिनट पर होगा। ग्रहण का मध्यकाल दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर एवं ग्रहण की समाप्ति दोपहर 2 बजकर 2 मिनट पर होगी। ग्रहण की पूरी अवधि लगभग साढ़े 3 घंटे की रहेगी। सूर्य ग्रहण से पूर्व सूतक करीब 12 घंटे पूर्व लगता है। इस कारण 20 जून को रात 10 बजकर 10 मिनट से ही शुरू हो जाएगा। सूतक काल में बालक, वृद्ध एवं रोगी को छोड़कर अन्य किसी को भोजन करना शास्त्रों में निषेध बताया गया है।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक ग्रहण का राशियों पर भी शुभ-अशुभ फल पड़ेगा। इस सूर्य ग्रहण का अशुभ असर वृष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर रहेगा। इसमें शुत्र भय, धन हानि, रोग आदि प्रमुख लक्षण राशियों पर रहेेगे। वृश्चिक राशि वालों के लिए यह ग्रहण विशेष कष्टकारी बताया गया है। मेष, सिंह, कन्या और मकर राशि वालों पर ग्रहण का अशुभ प्रभाव नहीं रहेगा।
इस ग्रहण के प्रभाव से अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, बाढ़, तूफान और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं।
वर्तमान वैश्विक महामारी कोरोना के लिए ये ग्रहण संक्रमण के फैलाव का प्रबल संकेत दे रहा है। यह ग्रहण रविवार को पड़ रहा है। इस कारण देश में हलचल का वातावरण बना रहेगा। इस ग्रहण के प्रभाव से सरकारों को भी अपयश की प्राप्ति के योग बन रहे हैं। इसके साथ ही आग की घटनाओं में वृद्धि के साथ खाद्यान्न की दरों में बढ़ोतरी होगा और लोगों के समक्ष खाद्यान्न का संकट भी आ सकता है।
श्री शुक्ल के मुताबिक सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान, दान और मंत्र जाप श्राद्ध करना विशेष फलदायी रहेगा। जिन जातकों की राशि पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव बुरा रहेगा उनके लिए तो जप-तप, दान आदि करना आवश्यक है। ऐसा कर ग्रहण के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है। बताया कि ग्रहणकाल में नदी तट, गौशाला, देवालय या घर के शांत स्थान में बैठकर मंत्र का जप किया जा सकता है। क्यों की सूर्य ग्रहण रविवार के दिन पड़ रहा है। इस कारण ग्रहण काल में आदित्य हृदय स्त्रोत का श्रेष्ठ उपाय है।
उन्होंने कहाकि ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को खासतौर से सावधानी रखनी चाहिए। ग्रहण काल में सोना और भोजन नहीं करना चाहिए। सुई धागा का प्रयोग फल आदि काटना भी शास्त्रों में निषिद्ध माना गया है। बताया कि सूतक काल आरम्भ होने के बाद देवालयों को बंद कर दिया जाएगा और ग्रहण के मोक्ष के बाद ही देवालय खोले जाएंगे।