हरिद्वार। योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के शुरुआती समय से सहयोगी रहे स्वामी मुक्तानंद का शुक्रवार रात अचानक दिल का दौरा पड़ने से देहांत हो गया। जिसके बाद पूरे पतंजलि परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। अस्पताल से स्वामी मुक्तानंद का शव सीधे कृपालु बाग आश्रम लाया गया।
जानकारी के अनुसार स्वामी मुक्तानंद की तबीयत शुक्रवार रात करीब साढ़े दस बजे उस समय बिगड़ी, जब वे कनखल स्थित कृपालु बाग आश्रम स्थित अपने आवास में थे। इस समय सबसे पहले आचार्य बालकृष्ण और आश्रम के लोग इन्हें तत्काल लेकर सिडकुल स्थित मेट्रो अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। योगगुरु बाबा रामदेव और अन्य लोग भी अस्पताल पहुंचे। जिसके बाद स्वामी के शव को कनखल स्थित कृपालु बाग आश्रम ले जाया गया। बाबा रामदेव ने कहा कि आज योग, आयुर्वेद और स्वदेशी का विश्वव्यापी अभियान चल रहा है। योग, आयुर्वेद, स्वदेश की क्रांति, भारतीय शिक्षा और भारतीय चिकित्सा व्यवस्था पुनः प्रतिष्ठा का यह जो आंदोलन चल रहा है, उसकी बहुत बड़ी ऊर्जा थे। स्वामी मुक्तानंद महाराज और पूरे पतंजलि योगपीठ परिवार में सबसे बड़े थे। उन्हें अग्रज, गुरु और पिता तुल्य मानकर उनका आशीर्वाद व मार्गदर्शन लेते थे। आज वे हमारे बीच में नहीं है। उनके जाने से पतंजलि योगपीठ और सनातन धर्म की अपूरणीय क्षति है। बता दें कि स्वामी मुक्तानंद उन चंद लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने पतंजलि को फर्श से अर्श तक का सफर न केवल तय करते हुए देखा था बल्कि, उसमें एक अहम भूमिका भी निभाई थी। वे तमाम संन्यासियों और अन्य स्कॉलर्स को वेदों, संस्कृत ग्रंथों और व्याकरण की शिक्षा देते थे। अध्यात्म में गहरी रुचि रखने वाले स्वामी मुक्तानंद को बाबा रामदेव के पुराने सहयोगियों में से एक माना जाता है। योग गुरु बाबा रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद की साल 2006 में स्थापना की थी, लेकिन उससे 11 साल पहले ही उन्होंने दिव्य योग फार्मेसी की स्थापना कर दी थी। इस कंपनी की स्थापना उन्होंने आयुर्वेदिक दवाएं और हर्बल प्रोडक्ट्स को तैयार करने के लिए की थी। इस कंपनी का संचालन उनका दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट करता है, जिसके फाउंडर ट्रस्टी के तौर पर स्वामी मुक्तानंद काम करते थे। इसके अलावा वे इसके कोषाध्यक्ष भी थे।