हरिद्वार । मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए 30 अगस्त से मात्र चार गिलास जल लेकर तपस्या (अनशन) करने का ऐलान किया है। वर्तमान में स्वामी शिवानंद 5 गिलास जल लेकर तपस्या कर रहे हैं। स्वामी शिवानंद को तपस्या करते हुए 17 दिन बीत गए हैं। गुरुवार को उनकी तपस्या का 18 वां दिन है। इस बीच केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से उनकी कोई सुध नहीं ली गई। जबकि पूर्व में केंद्र सरकार की ओर से उन्हें मांगों को लेकर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था। लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर स्वामी शिवानंद को दोबारा तपस्या पर बैठना पड़ा है। गौरतलब है कि गंगा में अवैध खनन को लेकर मातृ सदन के स्वामी शिवानंद ने तपस्या प्रारंभ की थी। परंतु कोरोना महामारी के चलते और केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी तपस्या स्थगित कर दी थी। परंतु आश्वासन पर कार्रवाई नहीं होने के बाद उन्होंने पुनः तपस्या आरंभ कर दी । गुरुवार को उनकी तपस्या का 18 वां दिन है। स्वामी शिवानंद का कहना है कि मोदी सरकार ने केवल अपने लिखित आश्वासनों का उल्लंघन ही नहीं किया बल्कि जो आश्वासन क्रियान्वित हो चुका था उसका भी उल्लंघन किया है। इस बीच जल संसाधन मंत्री शेखावत जी से कोई तीसरा व्यक्ति बात करना चाहता है तो वे बात भी नहीं करते हैं। साथ ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार नाना प्रकार से षडयन्त्र कर गंगाजी में जेसीबी और पोकलैण्ड से खनन करवा रही है, और स्टोन क्रेशरों को अवैध खनन के माल को खपाने की पूरा छूट दे रही है। वहीं मोदी सरकार को बार-बार लिखने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इस प्रकार सरकार एक तरफ वादाखिलाफी करती है और दूसरे तरफ उसका पालन करवाने के लिये कोई सात्विक तपस्या करता हैं तो उनकी अवहेलना करती है। ऐसे में स्वामी शिवानंद पूर्व संकल्प के अनुसार जिसमें उन्होंने कहा था कि वे जल की मात्रा को कम करते करते शून्य कर देंगे। वर्तमान में ले रहे 05 गिलास करीब डेढ़ लीटर जल को घटाकर 30 अगस्त से 04 गिलास कर देंगे।