हरिद्वार। विवादित बयानों के कारण देशभर में चर्चाओं में आई हरिद्वार में हुई धर्म संसद के सभी संत बुधवार सुबह रुड़की पहुंचे। यहां जीवनदीप आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज से सभी ने आशीर्वाद लिया। इस दौरान एक विशेष समुदाय पर हमला बोलते हुए जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी ने हिंदुओं को खतरा बताया।
इस दौरान जितेंद्र नारायण त्यागी ने कहा कि हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद को बेवजह तूल दिया जा रहा है। धर्म संसद के बाद हरिद्वार में कुछ लोगों ने एक तनावपूर्ण माहौल बनाने की कोशिश की और हरिद्वार के माहौल को खराब करने का प्रयास किया गया, जिसे लेकर उन्होंने मस्जिदों के इमाम और पैगंबर के खिलाफ पुलिस को तहरीर दी है।
स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने कहा कि आदि-अनादि काल से सनातन हिंदू संस्कृति शस्त्र और शास्त्र दोनों का सम्मान करती रही है। धर्म की रक्षा जहां शास्त्र से हो सकती है वहां शास्त्रार्थ हुए हैं, किंतु जब धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र की आवश्यकता पड़ी तो प्रभु श्रीराम ने भी धनुष उठाया और श्रीकृष्ण ने महाभारत की रचना की। उन्होंने कहा कि आज सनातन हिंदू संस्कृति पर चारों दिशाओं से निरंतर हमला हो रहा है। जिहाद, आतंकवाद और सेकुलरवाद के नाम पर हिंदुओं पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाया जा रहा है। हिंदू आतंकवाद की संज्ञा दी जा रही है। ऐसे में भारत के साधु-संत सनातन हिंदू धर्म संस्कृति परंपराओं की रक्षा के लिए अगर अपनी बात कह रहे हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है।
जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि जब धीमी आवाज से कोई नहीं सुनता है तो आवाज तेज करनी पड़ती है। अगर कुछ संतों ने आवाज को तेज किया है तो वो केवल इस कारण किया है कि सेकुलरवाद की पोषक सरकारें और कानून कहीं न कहीं हिंदू संस्कृति की रक्षा करने में असमर्थ रहे हैं। रुड़की पहुंचने वालों में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद, महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरि, महंत आनंद स्वरूप, अमृत आनंद, महाराज डॉक्टर साध्वी अन्नपूर्णा भारती, सिंधु सागर, महाराज राघवेंद्र भारती और हाल ही में मुस्लिम से हिंदू धर्म में परिवर्तित हुए वसीम रिजवी जो अब जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाने जाते हैं शामिल थे।