देहरादून। भगवान शिव कल्याणकारी देव हैं। वे भक्तों की सूक्ष्म आराधना से प्रसन्न होकर साधक को मनवांछित फल प्रदान करते हैं। शिव का पंचाक्षर नाम ओम नमः शिवाय सर्वदा कल्याणकारी है। इस कारण ओम नमः शिवाय का जप करते रहना चाहिए। यह उद्गार श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर के श्रीमहंत किशन गिरि महाराज ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्रावण मास को परम पवित्र मास व श्री टपकेश्वर महादेव को मनोकामना सिद्ध बताते हुए उन्होंने कहाकि शिव परम शुभ और पवित्र आत्म तत्व है, और जो सुंदरम है वहीं परम प्रकृति है। शिव को जानना और उन्हीं मंे लीन हो जाना ही सच्च्ी साधना है। शिव ही प्रथम तथा अंतिम है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष व्यक्ति के जीवन का आधार स्तम्भ है। इन सब मंे धर्म सर्वोपरि है। जिसकी जड़ शिव ही है। शिव की शरणागत होने पर ही कल्याण संभव है।
उन्होंने कहाकि भगवान शिव का जलधारा प्रिय है। जो भी भक्त भगवान का जलाभिषेक करता है उसके समस्त पापों का क्षय हो जाता है। इस कारण व्यक्ति को भगवान शिव का अभिषेक अवश्य करना चाहिए। कहाकि शिव का स्वरूप दिव्य गुण सम्पन्न, उज्जवल स्वरूप दिगम्बर है। वेद जिनकी बारह रूद्रों में गणना करते है, पुराण उन्हें शंकर तथा महेश कहते हैं। उन्होंने कहाकि शिव भक्ति में शिव पूजन का विधि विधान से पूजन-अर्चन करना चाहिए। शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढाकर तथा समीप बैठकर मंत्र जाप करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।