दैनिक बद्री विशाल
रुड़की/संवाददाता
उपराष्ट्रपति वेंकया नायडू ने कहा है कि कुंजा बहादरपुर गांव के बिना देश का इतिहास अधूरा है। इसके लिए केंद्र सरकार को कदम उठाना चाहिए। उन्होंने मातृ भाषा के इस्तेमाल पर जोर दिया।
कुंजा बहादरपुर में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे उपराष्ट्रपति वैंकेया नाड्यू ने शहीद राजा विजय सिंह गुर्जर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रधांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि इस गांव के शहीदों को नमन करते हुए आशा करता हूँ कि भावी पीढ़ी यहां से प्रेरणा लेगी। देश का नागरिक होने के नाते यहां का इतिहास सुनकर यहां आने के भाव जागे। आज यहां आने का अवसर मिला। इसके लिए अपने आपको सौंभाग्यसाली मानता हूं। स्वतंत्रता संग्राम से तीन दशक पहले ही यहां के नागरिकों ने राजा विजयसिंह गुर्जर के नेतृत्व में आजादी के लिए बलिदान दिया। उस समय एक हजार लोगों की सेना तैयार करना आसान नही था। अंग्रेजो ने जब यहां आक्रमण किया तो उस युद्ध मे 40 ब्रिटिश और सैकड़ो यहां के सैनिक मारे गए। यहां के सैनिकों और लोगों को नमन करना चाहता हूं। अंग्रेजो के क्रूर व्यवहार का सामना किया और राजा विजय सिंह गुर्जर और उनके सेनापति कल्याण सिंह को फांसी दी गयी।
कुंजा बहादरपुर जैसे क्षेत्रों के जिक्र के बिना हमारा इतिहास अधूरा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यहां के इतिहास को नमन करता हूँ। हमारा इतिहास सीमित है देश के इतिहास में ऐसे अनेक संघर्ष और आंदोलन हुए। यहां की वीरगाथाएं इतिहास में होना जरूरी है। पाठ्यक्रम में इसका विषय बनाना चाहिए। ताकि भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिले।इनके बिना इतिहास अधूरा है। उत्तराखंड वीरता और संस्कृति की पर्याय रही है। देश की सेना में उत्तराखंड के युवाओं ने कई इतिहास रचे है और बलिदान दिया है। उपराष्ट्रपति ने कहा
बाहरवीं कक्षा तक पाठ्यक्रम अपनी मातृ भाषा मे होना जरूरी है।मातृ भाषा आंख जैसा है और पराई भाषा चश्मे जैसा है। पहले मातृ भाषा पढ़ो इसके बाद अंग्रेजी चाइनीज कुछ भी पढ़ो। सरकार के गजट और सभी कार्य हिंदी में ही होना चाहिए। मातृ भाषा मे शिक्षा प्राप्त करवाना हमारा पवित्र कर्तव्य देश में हजारों भाषाएं हैं उन्हें भी जिंदा रखना जरूरी है ताकि संस्कृति जीवित रहे। उन्होंने कहा
जंकफूड से परहेज करना चाहिए। हमारे देश के अलग अलग प्रांतों में स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना है उसे ही खाना चाहिए। भारतीय खाना खाओ और फिजिकल भी जरूरी।
उन्होंने कहा केंद्र सरकार को पाठ्क्रम में इन क्षेत्रों के इतिहास को शामिल करना चाहिए। उन्होंने आहावन किया स्थानीय स्वयं सेवा संस्थाए और मीडिया इन क्षेत्रों के इतिहास की गहराई तक जाए नए स्रोत खोजें और इसे दुनिया के सामने लाये। देश की एकता और अखंडता के लिए समर्पण, संस्कृति और देश के लोगों का कर्त्तव्य है। उपराष्ट्रपति ने यहां आने के अवसर को लेकर केंद्रीय मंत्री डा.निशंक और मुख्यमंत्री रावत का धन्यवाद करते हुए कहा कि हमारे यहां आने से और लोगों को भी यहां के इतिहास के बारे में पता लगेगा। आज मैं बहुत गौरान्वित महसूस कर रहा हूँ। मैं पूरे देश मे यहाँ का जिक्र करूंगा। देश मे सबके अंदर भावना होनी चाहिए कि हम सब एक हैं। आजादी के बाद देश ने बहुत प्रगति की और प्रगति जब होगी जब केंद्र एवं राज्य सरकारें मिलकर काम करेंगे। हमअपने कर्तव्य का पालन करें तभी देश तरक्की करेगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर के मामले जो संविधान में संसोधन आया वह जरूरी था। दो तिहाई से राज्य सभा और लोकसभा में इसका संसोधन पारित हुआ। अयोध्या मामले में भी देश के लोगों ने एकता दिखाई। यह भी जरूरी है।
उन्होंने कहा मैं किसी पार्टी में नही हूँ मैं राजनीत से रिटायर्ड हो चुका हूं। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम 1857 से माना जाता है। लेकिन इस गांव में पहले ही आजादी का बिगुल फूंका जा चुका था। उन्होंने कहा कि देश के वीरों को यहां से प्रेरणा लेनी चाहिए। कुंजा गांव के लोगों को नमन जो कि वह इस पवित्र भूमि के वासी हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि कुंजा ऐसा गांव है जिसने देश की आजादी के लिए सबसे पहले संग्राम शुरू किया। राजा विजय सिंह गुर्जर ने एक हजार की सेना को खड़ा कर अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अंग्रेजो के पास आधुनिक हथियार और हमारे सैनिक स्वयं निर्मित हथियारों से लदे। हमारे देश के लिये यह गांव गर्व का विषय है। यह गांव शाहदत के लिए जाना जाता है। एक ओर हमारा प्रदेश धर्म और सन्तो के लिए जाना जाता है तो दूसरी ओर इसकी पहचान कुंजा बहादरपुर है। शहीद स्मारक की भव्यता को बनाने के लिए कमी नही छोड़ी जाएगी। सड़क का निर्माण होगा और जो कार्य केंद्र से होने है उन्हें प्रस्ताव भेजा जाएगा। केंद्रीय मंत्री डा.रमेश पखरियाल निशंक ने कहा कि यह गांव अपने आप मे इतिहास है, इसने देश को कहीं झुकने नही दिया। राजा विजय सिंह की अगुवाई में पहली क्रांति शुरू हुई। गांव से अनेक वीर योद्धा निकले, अंग्रेजो ने माना था इनका लोहा। भारत की स्वाधीनता को आजादी देने में राजा विजय सिंह और सेनापति कल्याण सिंह का मुख्य योगदान। यहां पर भव्य शहीद स्मारक बने ताकि लोग यहां आए और गर्व से सीना चौड़ा करके यहां से जाए।