दैनिक बद्री विशाल
रुड़की/संवाददाता
उत्तराखंड एससी/एसटी इंप्लाइज फेडरेशन जनपद हरिद्वार के पदाधिकारियों ने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री भारत सरकार, महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड व मुख्यमंत्री उत्तराखंड को भेजे ज्ञापन में अवगत कराया कि राज्य में एससी/एसटी/ओबीसी कर्मियों की वर्षों से विभिन्न मांगे लंबित है। जिन्हें जल्द पूरा करने की मांग की। उन्होंने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में 3 मार्च को देहरादून में राज्य स्तरीय रैली का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न जनपदों से ब्लॉक स्तर के एससी/एसटी/ओबीसी कर्मियों द्वारा मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा। धरनारत पदाधिकारियों ने कहा कि सात सूत्रीय मांग पत्र सीएम के ओएसडी जगदीश चंद्र खुल्बे के माध्यम से भी मांगों के संबंध में सीएम को अवगत कराया था, लेकिन प्रदेश सरकार ने उन पर कोई संज्ञान नहीं लिया। जिस कारण रुड़की तहसील मुख्यालय में उन्होंने एकदिवसीय सांकेतिक धरना दिया हुआ है। उन्होंने मांग पत्र में कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार इंदु कुमार कमेटी व जस्टिस इरशाद हुसैन की रिपोर्ट सार्वजनिक कर उसका परीक्षण किया जाए तथा उस रिपोर्ट के अनुसार एससी एसटी का प्रतिनिधित्व पूर्ण ना होने की स्थिति में तत्काल कानून बनाकर प्रमोशन में आरक्षण बहाल किया जाए, एससी/एसटी व ओबीसी की सीधी भर्ती में पुरानी रोस्टर प्रणाली को तत्काल बहाल किया जाए, राज्य एससी/एसटी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण राज्य गठन के समय तत्कालीन उत्तर प्रदेश की सरकार एसटी के कार्मिकों को नवनिर्वाचित राज्य उत्तराखंड के लिए बहुतायतमात्रा में आवंटित किया गया था जिससे राज्य स्थापना से ही राज्य में एसटी के कर्मियों की संख्या निर्धारित प्रतिशत से अधिक हो गयी थी। जिस कारण एसटी कर्मियों को न तो पदोन्नति में आरक्षण का लाभ मिल पाया और ना ही नई पीढ़ी को सीधी भर्ती में आरक्षण का लाभ मिल पा रहा है, उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर सन 2000 को जनजाति के रोस्टर को शून्य मानकर उक्त तिथि से ही पदोन्नति/ सीधी भर्ती में जनजाति का रोस्टर प्रारंभ किया जाए आदि कई मांगों को लेकर फेडरेशन का एक दिवसीय सांकेतिक धरना नगर निगम के बाहर चालू रहा। प्रदर्शन करने वालों में विनोद कुमार, मेघराज सिंह, जयपाल, करण पाल, पूनम रानी, वंदना, अरुण कुमार, संदीप कुमार, प्रदीप कुमार, सोमपाल आदि मौजूद रहे।