हरिद्वार। कोरोना वायरस ने हरिद्वार के ट्रैवल कारोबार की कमर तोड़ दी। ट्रैवल कारोबारी की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से डगमगा गई है। टूर आप्रेटर एसोसियेशन उत्तराखंड के अध्यक्ष अभिषेक अहलूवालिया ने बताया कि राज्य सरकार उत्तराखंड के पर्यटन कारोबारियों के साथ कामगारों के लिए भी आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा करें। इसके अलावा चारधाम यात्रा को लेकर जो बुकिंग कैंसिल हुई है, उनकी एडवांश धनराशि को आगामी टूर प्रोग्राम में समायोजित करने की गुजारिश की है। उन्होंने कहा कि टूर आप्रेटर एसोसियेशन अपने पर्यटकों का बहुत सम्मान करती है। ऐसे में आपदा के चलते इस वर्ष की सेवाएं प्रभावित हुई है। लेकिन पर्यटकों की एडवांश धनराशि को अगले दो वर्षो तक किसी भी टूर प्रोग्राम में समायोजित करने की मांग की है। सरकार टूर आप्रेटर एसोसियेशन के हितों और उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कोई नीति निर्धारित करें।
टूर आप्रेटर एसोसियेशन उत्तराखंड के अध्यक्ष अभिषेक अहलूवालिया ने बताया कि कोरोना वायरस की चपेट में आज पूरा विश्व है। इसी बीमारी के चलते हरिद्वार में ट्रैवल कारोबारी भी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बैंक कर्ज और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए धन की कमी आढे आ रही है। ऐसे में वाहन का बीमा और तमाम खर्चो को लेकर भी आर्थिक संकट बना हुआ है। संयुक्त सचिव अंजीत कुमार ने कहा कि उत्तराखंड पूरी तरह से पर्यटन पर टिका हुआ है। इससे लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी है। लेकिन कोरोना के प्रभाव से जो पर्यटन कारोबार को हानि हुई है उसको पुर्नस्थापित करने के लिए सरकार ने अपनी पॉलिसी स्पष्ट नहीं की है। पर्यटन कारोबार किस प्रकार से पटरी पर आयेगा। कार्यकारिणी सदस्य अरविंद खनेजा ने कहा कि लॉक डाउन खुलने के अभी कोई आसार नहीं हैं। अगर लॉक डाउन खुल भी गया तो पर्यटक घूमने नहीं निकलेंगे। पूरे देश में कोरोना का संकट है जिसके चलते यात्री अपने घरों में रहेंगे। ऐसी स्थिति में उत्तराखंड का पर्यटन कारोबार पूरी तरह से चौपट हो चुका होगा। ऐसे में दैनिक मजदूरी करने वाले वाहन चालकों, होटल कर्मचारी, वेटर व तमाम लोगों के वेतन देने के लिए भी धन की कमी होगी। इन समस्याओं से किस प्रकार निबटा जायेगा ये साफ नही है। अरविंद खनेजा ने वाहन चालकों के लिए प्रतिमाह 10 से 15 हजार का आर्थिक पैकेज देने की मांग की है। उन्होंने घ्का कि मई जून का सीजन खराब हो गया है। ऐसे में चारधाम यात्रा से जो आजीविका चलती थी वो अब पूरी तरह से खत्म हो गई है। पर्यटन कारोबारी हताशा के माहौल में है। सरकार को इनकी सुध लेकर कोई ठोस नीति बनानी होगी। जिससे पर्यटन कारोबारी अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा कर सके।