जनता पर जुर्माना तो कानून तोड़ने वाले अधिकारियों पर क्यों नहीं
हरिद्वार। कानून का अनुपालन और आदर्श की बात करना तो आसान है। किन्तु उनका अनुपालन करना कठिन कार्य होता है। कुछ ही ऐसे लोग होते हैं जो दोंनो का पालन करते हैं। यही कारण है कि देश में बहुत से कानून हैं किन्तु उन पर पूर्णरूप से अमल नहीं हो पाता है।
गांधी जी की 150 वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग ने करने की देशवासियों से अपील की गई थी। इसी दिशा में जिला प्रशासन ने भी जनता को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचने की अपील की थी। बावजूद इसके लोगों को जागरूक करने वाले अधिकारी स्वंय अपने ही नियम कानून को तोड़ते नजर आए। शनिवार को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में अपने इष्टदेव भगवान कार्तिकेय की जयंती उल्लासपूर्वक मनायी गई। इस दौरान बड़ी संख्या में साधु-संतों के अलावा गणमान्य लोगों ने भी शिरकत की। कार्यक्रम में जिला व मेला प्रशासन के आलाअधिकारियों ने भी शिरकत की।
अतिथि सत्कार के क्रम में सभी संतों, अधिकारियों को अखाड़े द्वारा प्रसाद के रूप में भोजन भी करवाया गया। हास्यास्प्रद यह कि जो अधिकारी आज तक सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने की मंचों से जनता से अपील करते रहे उन्होंने अपनी ही अपील की धज्जियां उड़ाते हुए सिंगल यूल प्लास्टिक के बर्तनों में भोजन किया। इतना ही नहीं भोजन करने के बाद उन्होंने न तो अखाड़े के पदाधिकारियों को ऐसे आयोजनों में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की बात कही और न ही विरोध जताया।
अब स्वंय ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे में देश को प्लास्टिक मुक्त कैसे बनाया जा सकता है। जिन कंधों पर कानून का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी हो यदि वे ही कानून का उल्लंघन करें तो सोचिए देश का क्या होगा। और कैसे प्रधानमंत्री की प्लास्टिक मुक्त भारत की मुहिम परवान चढ़ पाएगी। सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करने पर आम आदमी पर तो जुर्माना लगा दिया जाता है। अब ऐसे अधिकारियों पर कौन जुर्माना लगाएगा यह बड़ा सवाल है।