वैसे तो राजनीति में हर काम संभव है लेकिन जब सरकार अपनी गरिमा तार तार करने लगे, तो इसे तानाशाही बोला जाता है। ऐसे अनेकों उदाहरण है, जिनमें भाजपा सरकार ने तानाशाही की हदें पार करते हुए अपनी घटिया मानसिकता का परिचय दिया। भाजपा सरकार की इसी हनक का एक उदाहरण विगत दिनों पूर्व सीएम हरीश रावत द्वारा सिडकुल क्षेत्र में बेरोजगारी, महंगाई और मजदूरों के शोषण के खिलाफ निकाली गई पदयात्रा में भी देखने को मिला। जिसमें पदयात्रा के दौरान कुछ प्राइवेट सुरक्षा कर्मियों की बेल्ट पर लगे हथियारों पर ही भाजपा सरकार ने मुकदमा दर्ज करा दिया। यह हनक सिर्फ और सिर्फ विरोधी लोगों के लिए ही दिखाई जाती है, जबकि भाजपा विधायकों व नेताओं को ऐसे कामों की पूरी छूट है, वह तमंचे और राइफल गाड़ी से बाहर निकालकर हवा में भी लहरा सकते है ओर कोविड-19 की धज्जियां भी उड़ा सकते है, लेकिन यदि कांग्रेस या अन्य कोई व्यक्ति अपनी सुरक्षा में हथियार लेकर चलता या बेल्ट पर लगाता है, तो उन पर कानून का उल्लंघन करने की एवज में आर्म्स एक्ट या कोविड-19 की धाराओं में मुकदमे दर्ज करा दिए जाते है। यह सिर्फ भाजपा सरकार में ही संभव है, चूँकि भाजपा नही चाहती कि उसके खिलाफ कोई भी व्यक्ति प्रदर्शन करे या आवाज उठाये।
आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद जब पत्रकारों ने किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट सुमित चौधरी से इस बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में सब कुछ जायज है, यदि भाजपा का ही कोई विधायक या पदाधिकारी कानून ताक पर रखें, तब न तो क़ानून व्यवस्था खराब होती है और न ही कोई अपराध। यदि कोई अन्य व्यक्ति अपनी सुरक्षा मात्र के लिए लाइसेंसी हथियार रखते हैं, तो उनसे माहौल खराब होता हैं ओर कानून व्यवस्था भी बिगड़ती है। सुमित चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार तानाशाही पर उतारू है। आम जनता की मूलभूत समस्याएं, बेरोजगारी ओर मजदूरों की आवाज को लगातार उठाया जाएगा।