देहरादून । देहरादून की एक यूनिवर्सिटी में वीसी की नियुक्ति के लिए शासनादेश की धज्जियां उड़ा कर रख दी। यूनिवर्सिटी के महंत ने अपने चहेते को वीसी नियुक्त करने के लिए आयु सीमा 62 साल से बढ़ाकर 65 साल कर दी। जिसके बाद से चर्चाओं का दौर जारी है। जिस चहेते को कुर्सी पर बैठाने की तैयारी चल रही है उसके पूर्व के कार्यकाल भी विवादों में रहे हैं। वह अपने रसूक के दम पर कुर्सी पर डटे रहते हैं और छात्रों के भविष्य से खेलते रहे हैं।
देहरादून का एक विश्वविद्यालय इन दिनों खासा चर्चाओं में है। इस विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति की जानी है। चर्चा है कि विश्वविद्यालय के महंत ने एक पूर्व कुलपति को कुर्सी पर बैठाने की सेटिंग की हुई है। लेकिन इस कुर्सी के बीच में पूर्व वीसी महोदय की आयु सीमा आढ़े आ रही है। अब चूंकि अपने खास को कुर्सी पर बैठाना हो तो इसके लिए भी रास्ता निकालना होगा। ऐसे में विश्वविद्यालय की ओर से नियुक्ति की विज्ञप्ति जारी की गई। उसमें आयु सीमा 62 साल लिख दी गई। चहेते महोदय ने महंत जी को समझाया और अपनी आयु का हवाला देते हुए इसमें संसोधन कर 65 साल प्रकाशित करने का रास्ता सुझाया। महंत जी ने अपनी भूल सुधार प्रकाशित कर आयु सीमा 65 साल कर दी। इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात ये है कि कुलपति के लिए आयु सीमा जब 62 साल है तो विश्वविद्यालय अपनी मनमानी क्यांे कर रहा है। ये बात सभी की समझ से परे है। लेकिन कुर्सी पाने की चाहत में वीसी महोदय महंत जी को भी गलत जानकारी देकर उनको भ्रमित कर रहे है। देखना होगा कि महंत जी आंखे खोलकर काम करते है या लाड़ले को कुर्सी पर बैठाकर इस यूनिवर्सिटी की नांव को डूबाकर मानेंगे।