जानबूझकर या अंजाने में खिलाड़ियों का सम्मान करने में ढीली क्यों प्रदेश सरकार?

Roorkee

दैनिक बद्री विशाल
रुड़की/संवाददाता

एक और केंद्र सरकार भारत की प्रतिभाओं को हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन करने के लिए युवा विशेषकर लड़कियों को प्रोत्साहित करने का दावा कर रही है, लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ भी नही है। ऐसे कई खिलाड़ी है जिन्होंने राष्ट्रीय नही बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के नाम का डंका बजवाया लेकिन सम्मान के नाम पर आखिर में उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। पूजा चौहान ने बताया कि जब वह रुड़की रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो उनके स्वागत में सिर्फ शहर के कुछ गणमान्य लोग ही नजर आए, जबकि हरिद्वार जिले में 11 विधायक है और उत्तराखंड सरकार में खेल के सेक्रेटरी भी नदारद रहे। यहां तक कि सरकार की ओर से भी उनका कोई स्वागत नही किया गया ओर कहने को भाजपा सरकार का नारा है कि “खेलेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया”। यहां तक कि बेटियां बचाओ, बेटियां पढ़ाओ, बेटियों का हर स्तर पर मनोबल बढ़ाओ वगेरा-वगेरा, नारा दिया जाता है, लेकिन जब कोई बेटी शहर का नाम दुनियाभर में रोशन करती है तो ये ही नारा देने वाले लोग आंखों पर काली पट्टी बांधकर अंधेपन का ड्रामा करते है और स्वागत करने तक में इनकी शान घट जाती है। यह उपेक्षा पूजा की ही नही, बल्कि एवरेस्टर अंकुर रावत भी इसी उपेक्षा का दंश झेल रहे है। अंकुर रावत दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर पहली ही बार में सफल रहे और तिरंगा लहराया। ऐसे भी कई खिलाड़ी है, जिन्होंने देश-विदेश में अपने राज्य और देश का नाम रोशन कर मां बढ़ाया। लेकिन वह भी अपने सम्मान के लिए उपेक्षित ही नजर आए। यह कहना भी गलत नही होगा कि खानपुर विधायक और भाजपा से निष्काषित कुंवर प्रणव सिंह “चैम्पियन” स्वयं एक अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग के चैम्पियन है और उनके बेटे कुंवर दिव्य प्रताप सिंह जब शूटिंग की डबल बोर के चैम्पियन बने तो विधायक ओर स्वयं चैम्पियन होने के नाते कुंवर प्रणव सिंह अपने बेटे को लेकर सीएम के दरबार गए और उनका स्वागत कराया। यदि वह विधायक न होते तो शायद वह भी इस सम्मान के लिए उपेक्षित ही रहते। अब सरकार की ओर से इन खिलाड़ियों का कितना सम्मान किया जाता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन उन्होंने भाजपा के निष्काषित विधायक कुंवर प्रणव सिंह से भी अपील की कि वह भी तो एक खिलाड़ी है और वह भलीभांति एक खिलाड़ी के दर्द को समझ सकते है, खिलाड़ी के लिए “सम्मान” से बड़ा कोई सम्मान नही। ऐसे में विधायक को चाहिए कि वह भी ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ियों को अपनी ओर से पुरुस्कृत करें और उनका होंसलाफ़जाई करे। लेकिन सरकार इस ओर क्या कदम उठाती है, यह भी देखने वाली बात होगी। बहरहाल तो खिलाड़ियों में सरकार के उदासीन रवैये को लेकर बेहद रोष व्याप्त है।

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