हरिद्वार। कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए उत्तराखंड और यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने का फैसला लिया है। तो वहीं, 21 जुलाई को ईद-उल-अजहा यानी बकरीद के त्योहार को लेकर महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि बकरीद के त्योहार में भी ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने मुस्लिम धर्मगुरुओं से अपील की है कि वह मस्जिदों से ऐलान करें कि लोग अपने घरों में ही बकरीद की नमाज अदा करें। कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए बकरीद का त्योहार सादगी से मनाएं।
महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि बकरीद के त्योहार पर मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में बकरों व दूसरे जानवरों की कुर्बानी भी देते हैं। इससे पूरे देश में लाखों जानवरों की जान जाती है। उन्होंने मुस्लिम धर्मगुरुओं से अपील की है कि जानवरों की कुर्बानी की परंपरा पर भी रोक लगनी चाहिए। इसके लिए भी मुस्लिम धर्मगुरुओं को आगे आना चाहिए। महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि सनातन धर्म में भी देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पशुओं के बलि देने की प्रथा थी, जिसे हिंदू समाज ने कुप्रथा के रूप में लेते हुए पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। इसी तरह से मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी बकरीद के पर्व पर होने वाली कुर्बानी पर रोक लगानी चाहिए। नरेंद्र गिरि ने बकरीद का त्योहार कोविड प्रोटोकॉल के साथ मनाए जाने की अपील की है। ंबता दें, कोरोना की थर्ड वेब की आशंका के मद्देनजर उत्तराखंड और यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने का फैसला लिया है। योगी सरकार के इस फैसले का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने स्वागत किया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि धार्मिक आस्था और परंपरा जरूरी है, लेकिन लोगों का जीवन बचाना उससे कहीं ज्यादा जरूरी है। इसको देखते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, सभी कांवड़ संघ और साधु-संतों ने भी सीएम योगी से यही मांग की थी कि इस साल कांवड़ यात्रा पर रोक लगाई जाए।