बद्रीविशाल ब्यूरो
हरिद्वार। भेल (बीएचईएल) के स्टोर रूम से एक करोड़ कि चोरी का खुलासा करते हुए पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों के पास से चोरी का आधा माल बरामद कर लिया गया है। चारों आरोपियों का चालान कर कोर्ट में पेश किया गया जहा से सभी को जेल भेज दिया गया है।
रोशनाबाद स्थित पुलिस कार्यालय में प्रेस वार्ता कर एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने मामले का खुलासा किया। पुलिस के मुताबिक बीती 22 अगस्त को भेल के वरिष्ठ उप महाप्रबंधक उमेश प्रसाद ने रानीपुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराते पुलिस को बताया था कि बीएचईएल परिसर के अंदर बने स्टोर रूम से अज्ञात द्वारा एक करोड़ कीमत की धातु प्लेटें चोरी कर ली गई। तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर घटना के खुलासे के लिए घटनास्थल पर लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। जिसके बाद पुलिस ने घटना के सभी संभावित पहलुओं पर काम करते हुए मुखबिर तंत्र की मदद भी ली। जिसके बाद घटना के खुलासे में लगी रानीपुर कोतवाली पुलिस व सी आई यू की संयुक्त टीम ने आज बुधवार रेगुलेटर पुल व डबल पुलिया के पास बीच रुककर एक बार फिर से चैकिंग अभियान चलाया। इस दौरान पुलिस टीम को सलेमपुर की तरफ से आती एक संदिग्ध काले रंग की स्कॉर्पियो गाड़ी दिखाई दी। जिसे रोकने का इशारा करने पर चालक नें गाड़ी दौड़ा दी,लेकिन तभी पुलिस टीम ने तत्परता दिखाते हुए गाड़ी को घेर लिया। तलाशी के दौरान डिग्गी में रखे 14 बोरों को जब खोला गया तो उसमें से चमकीली धातु के बार/ सिल्लियाँ व धातुओं का भारी गला हुआ कबाड बरामद हुआ। गाड़ी जब्त कर पुलिस सभी आरोपियों को थाने ले आई।
पूछताछ में आरोपियों ने अपने नाम बताया कि सुशील पुत्र इसम सिंह निवासी शामली उ.प्र., मोहन पुत्र ब्रहमनाथ कश्यप निवासी दीनारपुर नागल सहारनपुर, सुन्दर पुत्र बाबूराम सिंह जाटव निवासी अमरोहा उ.प्र. व शाहनवाज उर्फ शानू कबाडी पुत्र मोबिन निवासी मौहल्ला चौहानान ज्वालापुर बताए।
पूछताछ के दौरान पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि आरोपी सुशील, मोहन व सुंदर ने अपने एक अन्य साथी के साथ मिलकर पिछले महीनें भेल के स्टोर से चोरी की थी। जिसमें से आधी सिल्लियाँ इन्होंने एक कबाड़ी शानू को दे दी। जिससे मिली रकम से स्कॉर्पियों गाड़ी खरीदी। बाकी बचे माल को आज शानू के साथ मिलकर मुज्जफ्फरनगर के कबाडी को बेचने जा रहे थे, लेकिन तभी पकड़े गए।
पुलिस ने सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया। घटना का खुलासा करने वाली टीम को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र डोबाल ने शाबाशी दी।