श्रीमद्भागवत कथा मोक्षदायिनीः ब्रह्मरात

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व्यक्ति को चरित्रवान व संस्कार बनाती है श्रीमद्भागवत कथाः डीएम
हरिद्वार।
श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का वह भण्डार है। जो व्यक्ति का परमात्मा से साक्षात्कार करवाकर उसके बैकुण्ठ के मार्ग का प्रशस्त करती है। कथा की सार्थकता तभी है जब इसे हम अपने जीवन व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए जीवन को आनन्दमय व मंगलमय बनाकर आत्मकल्याण करें। उक्त उद्गार मंशा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने मंशा देवी मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान की लीलाएं अपरंपार है। भागवत कथा का श्रवण करने से मन का शुद्धिकरण होता है। इसलिए व्यक्ति को समय निकालकर कथा श्रवण अवश्य करना चाहिए और बच्चों व युवाओं को संस्कारवान बनाकर कथा श्रवण के लिए प्रेरित करना चाहिए। जिला अधिकारी दीपेंद्र चैधरी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा व्यक्ति में मानवीय गुणों का समावेश कर उसे चरित्रवान व संस्कारवान बनाती है। जिससे व्यक्ति स्वयं को सबल बनाता है और अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की पावन भूमि और मां मंशा देवी के पवित्र प्रांगण में कथा श्रवण करने का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। यह विद्या का अक्षय भण्डार है। बाल कथा व्यास पं. ब्रह्मरात हरितोष (एकलव्य) साक्षात भगवान शुकदेव के रूप में श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराकर श्रद्धालुओं के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। बाल कथा व्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से व्यक्ति सीधे भगवान की शरण में पहुंचता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा को त्रिवेणी कहा गया है। यमुना तट पर रची गयी भगवान की लीलाओं को सरस्वती के तट पर लिखा गया और गंगा तट पर सुनाया गया। उन्होंने कहा कि सनकादिक

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