पंाच महापर्वों का पर्व है दीपावली जानिए पूजन का मुहुर्त व समय

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हरिद्वार। दीपावली पांच पर्वों का सम्मलित पर्व है। इसे पंच पर्व भी कहा जाता है। पंच पर्व की शुरूआत धनतेरस से होती है औी भाई दूज के दिन पंाच पर्वों के पर्व का समापन होता है। सनातन धर्म में पंच पर्व का विशेष महत्व है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा व यम द्वितीया इस पर्व के अन्तर्गत आते हैं।
दीपावली जहां खुशियों का पर्व है वहीं पंच पर्व स्वास्थय, आरोग्य, एकता, धन व ऐश्वर्य को सूचक है। दीपावली से पूर्व घरों को सजाया जाता है वहीं इस दिन लक्ष्मी के पूजन का विधान है। दीपावली की रात्रि को महानिशा के नाम से जाना जाता है। वही धनतेरस के दिन से पंच पर्व की शुरूआत होती है। धनतेरस को आयुर्वेद के जनक व स्वास्थ्य के प्रदाता भगवान धंवतरी की पूजा की जाती है। अगले दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यम के नाम पर दीपदान कर लम्बी आयु की कामना की जाती है। ज्योतिषाचार्य पं. देवेन्द्र शुक्ल ने बताया कि नरक चतुर्दशी के बाद पंच पर्वों का मुख्य पर्व दीपावली मनाया जाता है। वैसे इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, किन्तु काली पूजा के लिए दीपावली खास दिन होता है। इसी के साथ इस दिन कुबेर पूजन भी किया जाता है। बहीखाता व कलम आदि का पूजन करना भी इस दिन श्रेष्ठ होता है। दीपावली के दिन जहां गृहस्थ और कारोबारी धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और धन की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में काली उपासना कर तांत्रिक कर्म करते हैं। बताया कि दीपावली के अगले दिन भगवान गोवर्धन का पूजन किया जाता है, जो एकता व समरसता का संदेश देता है। गोवर्धन के बाद भाई दूज का पर्व आता है, जो भाई-बहन के प्रेम का घोतक है। इस दिन भाई-बहन के यमुना नदी में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। श्री शुक्ल ने बताया कि इस दिन यमुना में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
पं. देवेंन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक शुभ मुहुर्त में पूजन करने का विशेष लाभ होता है। जहां तक संभव का शुभ मुहुर्त के अनुसार ही पर्वों पर पूजन करना चाहिए। बताया कि इस बार धनतेरस 25 अक्टूबर को है। इस दिन पूजन का शुभ समय 7 बजकर 10 मिनट से सवा आठ बजे तक है। जबकि प्रदोष काल 5 बजकर 42 मिनट से सवा आठ बजे तक होगा। 27 अक्टूबर को मनायी जाने वाली दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का समय सांय 6 बजकर 44 से सवा आठ बजे तक होगा। भाई दूज पर बहिनें 1 बजकर 11 मिनट से 3 बजकर 25 मिनट तक तिलक कर सकती हैं।
धनतरेस से भाई दूज तक मनाए जाने वाले पंच पर्व की तीर्थनगरी हरिद्वार में अभी से तैयारियां आरम्भ हो चुकी हैं। बाजार सज चुके हैं और तरह-तरह से ग्राहकों को आकर्षित करने का व्यवसायियों द्वारा प्रयोजन किया जा रहा है।

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