डॉ. सुनील जोशी ने योग विज्ञान और मर्म चिकित्सा के अन्तर-सम्बंधों की वैज्ञानिक व्याख्या की

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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व स्वस्थ जीवन के लिए उपयोगी है योग एवं आयुर्वेद
हरिद्वार
। पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार के दूसरे दिन मंगलवार को कार्यक्रम विश्वविद्यालय के सहायक कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव के उद्बोधन से प्रारंभ हुआ।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में देश के विख्यात मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ एवं ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज के निदेशक डॉ. सुनील जोशी द्वारा योग विज्ञान और मर्म चिकित्सा पद्धति के अन्तर-सम्बंधों की सरल, वैज्ञानिक एवं जनोपयोगी व्याख्या प्रस्तुत की गई। डॉ. जोशी ने मर्म को सक्रिय करने से लेकर मस्तिष्क, फेफड़े, आंख व कान सम्बंधी अनेक रोगों की चिकित्सा में इसके प्रयोग की विवेचना प्रस्तुत की।
द्वितीय सत्र में पतंजलि विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. नरेंद्र सिंह ने योग द्वारा समग्र स्वास्थ्य पर आंकड़ों सहित कुछ रोचक तथ्य प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि नियमित योग के अभ्यास से मनोशारीरिक स्थिरता व आरोग्यता तो आती ही है, साथ ही इससे पाचनतंत्र संबंधी, मधुमेह, हृदय रोग, रक्तचाप आदि का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया जा सकता है।
तृतीय सत्र में पतंजलि आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान के सह प्राध्यापक डॉ. अभिषेक भूषण शर्मा ने रोग प्रतिरोधक क्षमता अभिवर्धन एवं स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. शर्मा ने अपने उद्बोधन में सात्विक व स्वस्थ आहार, विरुद्ध आहार, स्वस्थवृत्त, ऋतुचर्या आदि अनेक जीवनोपयोगी पक्षों को सरलापूर्वक समझाते हुए प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के आयुर्वेदिक उपायों की चर्चा की।
चतुर्थ सत्र में पतंजलि विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. रुद्र भण्डारी ने कोविड-19 की इस वैश्विक महामारी को समझाकर योग व अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के अनुप्रयोग पर वैज्ञानिक अनुसंधान के परिप्रेक्ष्य में गहनता से विचार प्रस्तुत किए।

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