गौसेवा से होती है सहस्त्रगुण पुण्य फल की प्राप्तिः सोमेश्वरानन्द

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हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े के महामण्डलेश्वर व शंकराचार्य आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी सोमेश्वरानन्द गिरि महाराज ने कहा है कि गौ माता में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। गौ माता की सेवा से सहस्त्रगुणा पुण्यफल की प्राप्ति होती है। बैरागी कैंप स्थित शंकराचार्य आश्रम में गोपाष्टमी पर गुड़ खिलाकर गौमाता के पूजन के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी सोमेश्वरानन्द गिरि महाराज ने कहा कि श्रद्धापूर्वक गौमाता की आराधना करने से जातकों की हर मनोकामना पूर्ण होती है और सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गौमाता का विशेष स्थान है। क्योंकि जैसे एक मां का हृदय कोमल होता है। उसी प्रकार गौमाता का ह्दय भी कोमल होता है। क्योंकि जिस प्रकार एक मां अपने बच्चों को हर स्थिति में सुख देती है। वैसे ही गौ माता भी मनुष्य जाति को लाभ प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि गौपाष्टमी के पावन पर्व पर सभी को गौ सवंर्द्धन व सरंक्षण का संकल्प लेना चाहिए। गौ माता को भोजन कराकर उनके चरण को मस्तक पर लगाने से प्रगति के सभी मार्ग प्रशस्त होते हैं और सौभाग्य की वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी गौ, गोप व गोपियों की रक्षा के लिए गौवर्द्धन पर्वत को धारण किया था। गौ सेवा करने से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण सेवक को मनवांछित फल प्रदान करते हैं। इस दौरान स्वामी नंदकिशोर, स्वामी संगम गिरि, कोठारी महंत सेवानन्द आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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